Chhath Puja: आज व्रतधारी अस्त होते सूर्यदेव को तो कल उगते सूर्य को देंगे अर्घ्य

Edited By Updated: 20 Nov, 2020 07:57 AM

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‘कांची-कांची बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय’ और ‘केरवा जै फरेला गवद से, ओही पर सुग्गा मंडराय’ जैसे छठ के गीतों को सुर देते हुए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानि गुरुवार को व्रतधारियों ने

नई दिल्ली (अनामिका सिंह): ‘कांची-कांची बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय’ और ‘केरवा जै फरेला गवद से, ओही पर सुग्गा मंडराय’ जैसे छठ के गीतों को सुर देते हुए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानि गुरुवार को व्रतधारियों ने खरना रखा। इस दिन को विशेष रूप से शुद्धिकरण के लिए जाना जाता है। निर्जल व्रत और रात में गुड़ की खीर, पुड़ी व फल खाकर शुक्रवार व शनिवार के लिए व्रतधारियों ने खुद को तैयार किया। छठ व्रतधारियों के घरों से शाम को छठ के गीतों की मधुर धुन सुनते ही बनती थी। कल्याण की कामना भी करते हैं।

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बता दें कि खरना के बाद से ही छठ मईया को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद जिसमें ठेकुआ, मालपूआ व चावल का गुड़ वाला लड्डू बनाना प्रारंभ कर दिया जाता है। वहीं नियम के अनुसार लहसुन-प्याज का खाना पूर्ण रूप से वर्जित रहता है। इस दौरान स्वच्छता को विशेष महत्व दिया जाता है। छठ पर्व को नई फसल व खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है।

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खरना के अगले दिन यानि आज शुक्रवार को छठ पूजा में अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसका पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व बताया गया है। षष्ठी तिथि के दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रतधारी उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। व्रतधारी शाम 4 बजे से ही कमर तक पानी में खड़े हो जाते हैं और हाथ में धूपबत्ती लेकर सूर्य की उपासना करते हैं और जैसे ही सूर्यदेव अस्त होते हैं, आसमान में लालिमा बिखर जाती है तब छठ मईया के लिए घर में बना प्रसाद व फल को सूप या बांस की टोकरी द्वारा अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रतधारी अपने-अपने घर जाकर कोसी भरते हैं और रात भर पूजा स्थान पर बने छठ मईया के स्थान पर अखंड ज्योति जलाई जाती है और घर के लोग धूप से हवन करते हैं। बता दें कि बिहार के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल व नेपाल में भी छठ का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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बढ़ गया फलों व पूजा के सामान का दाम: कोरोना के चलते इस बार छठ मईया के अर्घ्य में चढ़ने वाले प्रत्येक फल-सब्जी व अन्य सामान का दाम बढ़ गया है। जहां बीते साल 100 रुपए में टोकरी बिक रही थी, वहीं इस साल 120 रूपए दाम है जबकि 50 रुपए वाला सूप 100 रुपए का बिक रहा है। 5 रुपए की हरी हल्दी व अदरक की गांठ 20 रुपए प्रति पीस बेची जा रही है। यही नहीं एक गन्ने का दाम  30 से 35 रुपए है जो अमूमन 10 से 15 रुपए में मिल जाता है। वहीं सूथनी, शरीफा, नारियल, चिउडा, साठी का चावल सहित फलों के दामों में भी तेजी देखने को मिल रही है।

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द्रौपदी ने रखा था छठ व्रत:  महाभारत में वर्णित है कि 5 पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने अपने परिवार के लंबी उम्र व राजपाट वापस प्राप्त करने के लिए सूर्यदेव की आराधना करते हुए छठ का व्रत रखा था। उस समय पांडव अपना पूरा राजपाट जुए में हार गए थे, लेकिन सूर्य देव की भक्त द्रौपदी के व्रत रखने से सूर्यदेव ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए सारी मनोकामनाएं पूरी की।

 

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