कोरोना से प्रभावित हो सकता है हिंदू धर्म का सबसे भव्य आयोजन कुंभ

Edited By Jyoti,Updated: 18 Jul, 2020 12:21 PM

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यूं तो भारत देश के अलग-अलग राज्यों में कई विभिन्न प्रकार के मेले आदि लगते हैं, मगर इसमें जो सबसे बढ़े स्तर पर लगता है उसे कुंभ मेले के नाम से जाना जाता है।

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यूं तो भारत देश के अलग-अलग राज्यों में कई विभिन्न प्रकार के मेले आदि लगते हैं, मगर इसमें जो सबसे बढ़े स्तर पर लगता है उसे कुंभ मेले के नाम से जाना जाता है। ये मेला न केवल भारत देश में बल्कि विदेशों तक में भी काफी प्रसिद्ध है। ये धार्मिक मेला कोई साधारण आयोजन न होकर, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। हर साल भगवान शिव की पावन नगरियों प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक आदि में करोड़ों की तादाद में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। बता दें प्रत्येक वर्ष इन चारों स्थानों पर 12 वर्ष में और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। इससे पहले 2013 में प्रयागराज में कुंब का आयोजन हुआ था, और फिर 2019 में अर्धकुंभ का आयोजन प्रयाग में किया गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें अर्धकुंभ से मतलब है, अर्ध अर्थात आधा। जिसका मतलब है कि 12 वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वाले पूर्ण कुंभ मेले के बीच अर्थात पूर्ण कुंभ के 6 वर्ष बाद अर्ध कुंभ आयोजित होता है। इसके अनुसार हरिद्वार में कुंभ 1998 में हुआ था। यहां अर्ध कुंभ मेला 26 जनवरी से 14 मई 2004 तक चला था। 
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ये तो हुई बीते वर्षों की बात, इस साल की बात करें तो कोरोना के कारण इसको लेकर भी बड़े फैसले लिए जाने की बातें सामने आ रही है। जी, मीडिया रिपोर्टस की मानें तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि कोरोना महामारी को मद्देनज़र इस बार कुंभ मेले में स्नान का स्वरूप बदलने की संभावनाएं हैं। पंरतु इसका ये मतलब न लगाया जाए कि इस देर से शुरु किया जाएगा। अभी तक जो फैसले लिए गए हैं उसके अनुसार कुंभ मेला अपने नियत योग पर ही शुरू होगा। महंत जी ने बताया कि इस दौरान यदि कोरोना संक्रमण देश दुनिया से न निकला तो अखाड़ों की पेशवाई नहीं निकाली जाएगी। ऐसे में अखाड़ों के संत ही अखाड़ों के देवी-देवताओं के साथ गंगा स्नान करेंगे।
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इसके अलावा पत्रकारों से बातचीत करते हुए नरेंद्र गिरी जी ने कहा कि अभी कुंभ शुरू होने में काफी समय है। इसके आरंभ के साथ जो परिस्थिति सामने आएगी, तब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से जुड़े 13 अखाड़े बैठक करके ऐसा निर्णय लेंगे, जो हर किसी के उचित होगा।

इन्होंने ये भी बताया कि कुंभ को लेकर उनकी मुख्यमंत्री से फोन पर बातचीत हो गई है। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने हरिद्वार या देहरादून में बैठक बुलाने की बात सामने रखी है। इस दौरान जो बात बढ़-चढ़कर सामने आई वो यह है कि कोरोना के कारण कुंभ के स्वरूप पर परिवर्तन किया जा सकता है। अगर कोरोना के कारण देश आदि में यही हाल रहा तो  बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं पर रोक लगा दी जाएगी। ऐसे में सरकार को अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए, कुंभ कार्यों की गति में सरकार को तेजी लानी चाहिए। चूंकि इस भव्य आयोजन में हजारों साधु-संत शामिल होते हैं, ऐसे में सरकार को अभी से अखाड़ों में काम शुरू करवा देना चाहिए। 
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