Dahi Handi: घर पर दही हांडी उत्सव मनाते समय वास्तु के इन नियमों का रखें ध्यान

Edited By Updated: 15 Aug, 2025 02:00 PM

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Dahi Handi: दही हांडी उत्सव जन्माष्टमी का सबसे जीवंत और रोमांचक आयोजन है, जो खासकर महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप माखन चोर की लीला का प्रतीक है, जिसमें वे अपने मित्रों के साथ ऊंचाई पर लटकी मटकी से...

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Dahi Handi: दही हांडी उत्सव जन्माष्टमी का सबसे जीवंत और रोमांचक आयोजन है, जो खासकर महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप माखन चोर की लीला का प्रतीक है, जिसमें वे अपने मित्रों के साथ ऊंचाई पर लटकी मटकी से दही-माखन चुराते थे। आज के समय में यह परंपरा गोविंदा मंडलों के रूप में निभाई जाती है, जहां युवा पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर बंधी दही हांडी को फोड़ते हैं। इसमें टीमवर्क, संतुलन और साहस का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

Dahi Handi
Dahi Handi 2025: श्री कृष्ण जन्म के बाद मनाया जाने वाला दही हांडी का उत्सव कान्हा जी के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। जन्माष्टमी के अगले दिन इस उत्सव को मनाया जाता है यानी की कृष्ण पक्ष के नवमी तिथि के दिन। इसे गोपाल कला के नाम से भी जाना जाता है। जैसा की आप सब को तो पता ही है की यशोदा के लाल को दूध से बनी चीजें बहुत प्रिय हैं। उन्हें खुश करने के लिए मक्खन, दूध और दही का भोग लगाया जाता है। ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार, बाल लीला के दौरान श्री कृष्ण गोपियों की हांडियों से मक्खन और दही चुरा कर खाया करते थे और इस लीला को आज के समय में दही हांडी के रूप में मनाते हैं। वैसे तो मुख्य तौर पर यह पर्व महाराष्ट्र और गुजरात का है लेकिन पूरे भारत में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

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What are the Vastu rules to keep in mind while celebrating Dahi Handi festival at home घर पर दही हांडी उत्सव मनाते समय वास्तु के किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए-
घर पर दही हांडी उत्सव मनाते समय कुछ खास वास्तु नियमों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल मिलते हैं।

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हांडी हमेशा घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में लटकाएं, यह स्थान पूजा और शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

मटकी ऐसी ऊंचाई पर हो कि सभी भक्त उसे स्पष्ट देख सकें और पूजा-आरती में शामिल हो सकें। पीले, लाल और हरे रंग के फूल-मालाओं से सजावट करें, ये रंग ऊर्जा, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक हैं।

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मटकी में दही, माखन, मिश्री और तुलसी पत्ते जरूर रखें, ये शुभता और पवित्रता बढ़ाते हैं।

मटकी फोड़ने से पहले दीप जलाकर, श्रीकृष्ण का नाम जपें और पंचामृत से अभिषेक करें।

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