Edited By Sarita Thapa,Updated: 10 Dec, 2025 10:14 AM

युवा कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय जी अपनी कथाओं और प्रवचनों में केवल धार्मिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन के महत्वपूर्ण सूत्र भी प्रदान करते हैं।
Indresh Upadhyay Quotes About Life: युवा कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय जी अपनी कथाओं और प्रवचनों में केवल धार्मिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन के महत्वपूर्ण सूत्र भी प्रदान करते हैं। उनका मानना है कि जब मनुष्य जीवन में चारों ओर से समस्याओं, निराशाओं और बाधाओं से घिर जाता है, तो उसे कुछ मूलभूत आध्यात्मिक और व्यावहारिक बातों को अपनाना चाहिए।
समस्या नहीं, समाधान पर ध्यान दें
महाराज जी कहते हैं कि जब समस्याएं बड़ी लगने लगें, तो उन्हें चुनौती के रूप में देखना शुरू करें। समस्याओं को बार-बार दोहराने या उन पर विलाप करने से ऊर्जा नष्ट होती है। इसके बजाय, अपनी पूरी शक्ति और मन को यह खोजने में लगाएं कि समस्या का समाधान क्या है और उस समाधान तक पहुंचने के लिए पहला छोटा कदम क्या हो सकता है।
विश्वास और समर्पण
इंद्रेश जी बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि जब आपके अपने प्रयास सीमित हो जाएं, तब ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखें। यह मान लें कि आप अकेले नहीं हैं। एक परम सत्ता आपका मार्गदर्शन कर रही है। कृष्ण भावनामृत में रहकर अपना कर्म पूरी ईमानदारी से करते रहें और फल प्रभु पर छोड़ दें। यह समर्पण ही आपको मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाएगा।

जप और नाम स्मरण की शक्ति
जब मन अशांत और विचलित हो, तो समस्याओं से ध्यान हटाकर भगवान के नाम का जप करें। महाराज जी मानते हैं कि भगवान का नाम एक शक्तिशाली औषधि है। जप करने से मन शुद्ध होता है, नकारात्मकता दूर होती है और मुश्किलों से लड़ने की आंतरिक शक्ति मिलती है।
धैर्य और निरंतरता
इंद्रेश जी समझाते हैं कि जीवन एक चक्र है; दुख के बाद सुख आना निश्चित है। संकट का समय भी अस्थायी होता है। इसलिए, धैर्य न खोएं। अपनी गलतियों से सीखें और छोटे-छोटे प्रयास निरंतर करते रहें। निराशा में प्रयास छोड़ देना सबसे बड़ी हार है।
सत्संग और सही संगति
कठिन समय में ऐसे लोगों की संगति में रहें जो सकारात्मक हों और आपको प्रोत्साहित करें। महाराज जी के अनुसार, समस्याओं के दौरान सत्संग सुनना और उसमें शामिल होना सबसे अच्छा होता है। सत्संग से मिली प्रेरणा और ज्ञान सही दिशा दिखाता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ