Damodar Hari Chapekar Birth Anniversary: अपने हौसले से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले महान क्रांतिकारी दामोदर हरी चापेकर को शत-शत नमन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Jun, 2023 09:02 AM

damodar hari chapekar birth anniversary

महाराष्ट्र के तीन भाइयों, जिन्हें संयुक्त रूप से  ‘चापेकर बंधु’ के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर देश की आजादी के हवन कुंड

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Damodar Hari Chapekar: महाराष्ट्र के तीन भाइयों, जिन्हें संयुक्त रूप से  ‘चापेकर बंधु’ के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर देश की आजादी के हवन कुंड की अग्नि को और तेज किया था। इनकी जुगलबंदी ने न केवल अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए बल्कि गोरों के सरदारों के सीने में गोलियां उतारकर ऐसा भूचाल खड़ा किया कि अंग्रेजी बादशाहत की चाल धीमी पड़ गई। 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

चापेकर बंधु महाराष्ट्र के पुणे के पास चिंचवड़ नामक गांव के निवासी थे। सबसे बड़े दामोदर हरि चापेकर का जन्म 25 जून, 1869 को एक सम्पन्न ब्राह्मण परिवार में प्रसिद्ध कीर्तनकार हरिपंत चापेकर के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ था। इनकी माता का नाम लक्ष्मीबाई था। इनके दो छोटे भाई बालकृष्ण हरि चापेकर का जन्म 1873 एवं वासुदेव हरि चापेकर का जन्म 1880 में हुआ था। बचपन से ही सैनिक बनने की इच्छा दामोदर के मन में थी, विरासत में कीर्तनकार का यश-ज्ञान मिला ही था। 

PunjabKesari Damodar Hari Chapekar Birth Anniversary

महर्षि पटवर्धन एवं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक इनके आदर्श थे। तीनों भाई, तिलक जी को गुरुवत सम्मान देते थे। दामोदर ने फौज में प्रवेश करने के लिए काफी भाग-दौड़ की परन्तु सफल नहीं हो सके। यह स्वप्न तो बिखर गया मगर उन्होंने निराश हो हाथ पर हाथ रख बैठना सीखा न था। तिलक की प्रेरणा से उन्होंने युवकों का एक संगठन ‘व्यायाम मंडल’ तैयार किया। इसका लक्ष्य अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय जनता में जागरूकता और क्रान्तिकारी संघर्ष के विषय में सफल योजना बनाना था। 

चापेकर बंधुओं ने 1894 से पुणे में प्रति वर्ष तिलक जी द्वारा प्रवर्तित ‘शिवाजी महोत्सव’ तथा ‘गणपति-महोत्सव’ का आयोजन प्रारंभ कर दिया जिसने इन युवकों को देश के लिए कुछ कर गुजरने हेतु क्रांति-पथ का पथिक बनाया। 1897 में पुणे शहर प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहा था तो सरकार ने वाल्टर चार्ल्स रैंड तथा आयर्स्ट को जनता को सुविधाएं देने की जिम्मेदारी दी परन्तु इन अधिकारियों ने प्लेग पीड़ितों की सहायता की जगह लोगों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। वे अंग्रेज सैनिकों के साथ घरों में घुसकर नारियों की इज्जत लूटते, धन-सम्पदा छीनते। 

PunjabKesari Damodar Hari Chapekar Birth Anniversary

ऐसे दुराचरणों को आखिर किस सीमा तक सहन किया जा सकता था? उनसे बदला लेने और अग्रेजों को सबक सिखाने के लिए चापेकर बंधुओं ने प्रयास शुरू कर दिए। संयोगवश वह अवसर भी आया, जब 22 जून, 1897 को पुणे के ‘गवर्नमैंट हाऊस’ में महारानी विक्टोरिया की ताजपोशी की हीरक जयन्ती मनाई जाने वाली थी। इसमें वाल्टर चार्ल्स रैंड और आयर्स्ट भी शामिल हुए।  दामोदर हरि चापेकर और उनके भाई बालकृष्ण हरि चापेकर भी एक दोस्त विनायक रानाडे के साथ वहां पहुंच गए और इन दोनों अंग्रेज अधिकारियों के निकलने की प्रतीक्षा करने लगे। 

रात 12.10 मिनट पर रैंड और आयर्स्ट निकले तथा अपनी-अपनी बग्घी पर सवार होकर चल पड़े। योजना के अनुसार रैंड की बग्घी के पीछे दामोदर चढ़ गए और उसे गोली मार दी, उधर बालकृष्ण ने भी आयर्स्ट पर गोली चला दी। वह वहीं मर गया जबकि रैंड कुछ दिन बाद अस्पताल में चल बसा। पुणे की उत्पीड़ित जनता चापेकर बन्धुओं की जय-जयकार कर उठी। 

PunjabKesari Damodar Hari Chapekar Birth Anniversary

गुप्तचर अधीक्षक ब्रूइन ने इन पर 20 हजार रुपए का पुरस्कार रख दिया। चापेकर बन्धुओं के क्लब में ही दो द्रविड़ बन्धु थे- गणेश शंकर द्रविड़ और रामचंद्र द्रविड़। इन दोनों ने ईनाम के लोभ में ब्रुइन को उनका सुराग दे दिया। दामोदर को बम्बई में गिरफ्तार किया गया, पर बालकृष्ण पुलिस के हाथ न लगे। उनपर मुकदमा चलाया गया। अदालत में दामोदर ने निडरता से स्वीकार किया कि उन्होंने ही वाल्टर चार्ल्स रैंड की गोली मारकर हत्या की है। रैंड ने भारतीय निरपराध लोगों को अपनी दुष्प्रवृत्तियों का शिकार बनाया था, अत: उसकी हत्या करना कोई अपराध नहीं है।

सत्र न्यायाधीश ने दामोदर को फांसी की सजा दी। कारागृह में तिलक जी ने उनसे भेंट की और उन्हें ‘गीता’ प्रदान की। 18 अप्रैल, 1898 को प्रात: वही ‘गीता’ पढ़ते हुए दामोदर फांसी घर पहुंचे और फांसी का फंदा निर्भीकता से चूम कर इस नश्वर संसार को छोड़ अमरत्व प्राप्त कर लिया। बाद में दोनों छोटे भाइयों और रानाडे को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और फांसी की सजा सुना दी गई। इस कांड के सह-अभियुक्त श्री साठे को 10 वर्ष के कठोर कारावास का दंड दिया गया। भारत सरकार ने 2018 में दामोदर हरी चापेकर की स्मृति में 5 रुपए का डाक टिकट जारी कर इनके प्रति सम्मान व्यक्त किया।   

PunjabKesari kundli

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!