अंतिम समय में दीप दान क्यों करें?

Edited By Jyoti,Updated: 04 Apr, 2021 04:31 PM

deepdaan importance before death

मृत्यु जीवन का अंतिम कटु सत्य है। मृत्यु के लिए दो कार्य आवश्यक हैं। प्रथम-मनुष्य जब पांच तत्वों अर्थात जल, वायु, आकाश, पृथ्वी, अग्रि का ऋण चुका दे, तब मृत्यु को प्राप्त होगा।

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मृत्यु जीवन का अंतिम कटु सत्य है। मृत्यु के लिए दो कार्य आवश्यक हैं। प्रथम-मनुष्य जब पांच तत्वों अर्थात जल, वायु, आकाश, पृथ्वी, अग्रि का ऋण चुका दे, तब मृत्यु को प्राप्त होगा।

दूसरा-वह स्थान, वह विधि जब स्थूल शरीर को मिल जाए, जहां मृत्यु होनी है, तब मृत्यु होगी। जहां मृतक ने अंतिम सांस ली वही उसका मृत्यु का स्थान था।

जब हम मृत पड़ गए शरीर को अग्रि को समर्पित करते हैं तो वह पांचों तत्वों का ऋण चुकाता है, इसीलिए शव को जलाने का चलन है। चिता की अग्रि में देह भस्मासात हो जाती है। दीपदान से जीवात्मा को मुक्ति मार्ग की उपलब्धि होती है।

शास्त्र कहते हैं कि अंश अपने अंशी के पास पहुंचकर ही विश्राम लेता है। इसी प्रकार चैतन्यप्राण वायु के रूप में प्रवाहित अग्रि तत्व अपने उद्गम स्थल सूर्य पिंड में पहुंचकर ही विश्राम लेता है। दीपक आत्म के पथ को प्रकाशित कर उसे गन्तव्य पर पहुंचने में सहयोग करता है।

 
दीप प्रज्वलन के समय इस मंत्र का स्मरण करें : 
 दीप दर्शन
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
 
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।  

इसके अलावा इस मंत्र का जप भी किया जा सकता है- 

मृत्युना पाशदण्डाभ्याम् कालेन श्यामया सह। 
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम॥ 

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