Story of Bodhidharma: आप बेचैन क्यों रहते हैं ? शायद इस कहानी में है आपका उत्तर

Edited By Updated: 06 Jul, 2025 06:44 AM

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Story of Bodhidharma:  बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म चीन पहुंचे तो हर जगह उनकी चर्चा होने लगी। राजा को पता चला कि उसके राज्य में ज्ञानी संत आए हैं, तो वह भी दर्शन के लिए पहुंच गया। अभिवादन के बाद राजा बोला, ‘‘कृपया बताएं, मेरा मन कैसे शांत होगा ?’’

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Story of Bodhidharma:  बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म चीन पहुंचे तो हर जगह उनकी चर्चा होने लगी। राजा को पता चला कि उसके राज्य में ज्ञानी संत आए हैं, तो वह भी दर्शन के लिए पहुंच गया। अभिवादन के बाद राजा बोला, ‘‘कृपया बताएं, मेरा मन कैसे शांत होगा ?’’

बोधिधर्म ने कहा, ‘‘अब आप जब भी आएं, अपने मन को भी साथ लेते आएं। कोई उपाय सोचेंगे।’’

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राजा हैरान कि कैसा अजीब संत है, मन साथ लाने को कह रहा है। मन क्या कोई अलग पुर्जा है जिसे उठाकर लाया जा सके ? किन्तु क्या करता संत की आज्ञा जो थी।

वह एक दिन फिर बोधिधर्म के पास जा पहुंचा, ‘‘भगवन मन ऐसी वस्तु नहीं है जिसे व्यक्ति अलग रखता हो।’’

बोधिधर्म ने कहा, ‘‘तो यह तय हुआ कि मन आप में ही है। अब आप शांत चित होकर आंखें बंद कर बैठ जाएं। फिर खोजें कि मन कहां है। जब उसे ढूंढ लें तो मुझे बता दें कि वह कहां है। मैं उसे शांत कर दूंगा।’’ राजा शांत चित होकर बैठ गया और अपने अंदर मन को ढूंढने लगा।

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ज्यों-ज्यों वह अंदर झांकता गया त्यों-त्यों उसमें डूबता गया। उसने ध्यान से देखा कि मन नाम की कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे ढूंढा जा सके। उसे समझ आई कि जो वस्तु है ही नहीं, उसके बारे में कुछ किया ही नहीं जा सकता।

राजा ने बोधिधर्म के सामने सिर झुकाकर कहा, ‘‘अब मुझे समझ में आ गया कि मेरे विचार की शैली ही मुझे बेचैन किए थी।’’

बोधिधर्म ने कहा, ‘‘जब भी आपको बेचैनी हो आप विचारों को उलटकर विचार करने की आदत बना लें। सारी ऊर्जा एक दृष्टि, एक सोच और एक विचार बन जाएगी और मन शांत हो जाएगा।’’

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