देव दिवाली 2020: यहां जानिए इस दिन से जुड़ी खास बातें!

Edited By Jyoti,Updated: 29 Nov, 2020 03:23 PM

dev diwali 2020

देव दिवाली सनातन धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। धार्मिक मान्यताएं हैं कि इस दौरान सभी देवी-देवता धरती के पावन गंगा घाटों पर स्नान करते हैं। यूं तो कार्तिक मास में छोटी दिवाली के बाद मनाई जाने वाली देव दिवाली को अधिक खास माना जाता...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
देव दिवाली सनातन धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। धार्मिक मान्यताएं हैं कि इस दौरान सभी देवी-देवता धरती के पावन गंगा घाटों पर स्नान करते हैं। यूं तो कार्तिक मास में छोटी दिवाली के बाद मनाई जाने वाली देव दिवाली को अधिक खास माना जाता है। परंतु इसी मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली को मनाया जाने वाला देव दिवाली का पर्व भी विशेष माना जाता है। बताया जाता है खासतौर पर देव दिवाली का त्यौहार वाराणासी में मनाया जाता है। मुख्य रूप से इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना का महत्व होता है। इसका कारण धार्मिक मान्यताओ के अनुसार यह बताया जाता है कि भगवान विष्णु जी के शयन मुर्दा में जाग जाते हैं जिसके बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की ये पूर्णिमा पहली पूर्णिमा मानी जाती है। जिस कारण इसे अधिक खास माना जाता है। इसके अलावा भी इस दिन से संबंधित अन्य मान्यताएं व धार्मिक किंवदंतियां शास्त्रों में उल्लेखित है। तो आइए जानते हैं इस खास दिन से जुड़ी कुछ खास ही बातें-
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धार्मिक ग्रंथों में इस दिन से जुड़ा जो वर्णन किया गया है उसके अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्सय रूप में अवतार लिया था।

इसके अलावा इसी दिन देवी तुलसी का प्राकट्य हुआ था, जिस कारण इस दिन देवी तुलसी की पूजा का अधिक महत्व माना जाता है। 

कुछ धार्मिक मान्यताएं ये भी हैं कि इसी दिन यानि कार्तिक पूर्णिमा को श्री कृष्ण को आत्मबोध हुआ था। 

अन्य पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया था जिससे वो त्रिपुरारी रूप में पूजित हुए।
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कहा जाता है कार्तिक मास में आने वाली देवउत्थान एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं, जिसके बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यमुना घाट पर स्नान करते हैं, जिसके उपलक्ष्य में देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। 

ये भी कहा जाता है कि इस पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है।

तो वहीं इसी दिन सिक्खों के गुरुनानक देव जी महाराज का जन्म होने की भी मान्यता प्रचलित है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा के तट पर दीप जलाकर देवताओं सेहर प्रकार की मान्यता पूरी की जा सकती है। 
 
घरों में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना और भगवान विष्णु की पूजा करने से लक्ष्मी सदा के लिए प्रसन्न हो जाती है। इस दिन यदि करेंगे एकमात्र ये उपाय तो लक्ष्मी और कुबेर आपके घर में प्रवेश कर जाएंगे।

इन सब के अतिरिक्त इस दिन दीपदान करने से लंबी आयु प्राप्त होती है। खासतौर पर अगर किसी व्यक्ति को अपने कर्ज़ से छुटकारा पाना हो तो एक पत्ते पर जलते हुए दीए रखकर नदी में छोड़ देना चाहिए। 
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