Dharmik Katha: आओ मन में भगवान बसाएं...

Edited By Jyoti,Updated: 12 Oct, 2022 10:33 AM

dharmik katha in hindi

हर पूजा स्थल जैसे-जैसे ऊंचाई को  पाता जाता है, शिखर पर आकर एक बिन्दू में समा जाता है, मानो हमें यह संदेश दे रहा हो कि मन से जितना ऊपर उठोगे अंतत: एक बिन्दू पर मिलोगे। सच! पूजा स्थलों की यह समरूप बनावट एक से ही मिलने का कितना प्रेरक संदेश देती है।

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हर पूजा स्थल जैसे-जैसे ऊंचाई को  पाता जाता है, शिखर पर आकर एक बिन्दू में समा जाता है, मानो हमें यह संदेश दे रहा हो कि मन से जितना ऊपर उठोगे अंतत: एक बिन्दू पर मिलोगे। सच! पूजा स्थलों की यह समरूप बनावट एक से ही मिलने का कितना प्रेरक संदेश देती है। फिर भी आश्चर्य कि कहीं-कहीं पूजा स्थलों को लेकर विवाद हो रहे हैं। इन विवादों को तूल देकर हम भावों के मूल को ही उजाड़ने की कहीं भूल तो नहीं कर रहे हैं।

कहते हैं, मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। धर्म तो प्रभु से प्रेम का पैगाम है, जिसे प्रभु से प्रेम हो उसे प्रभु की रचना से भी प्रेम अवश्य होगा। जिसके अंदर अखुट  प्रेम की शक्ति है, वह सबके दिलों पर राज करता है। जंग जीत के भी हम हारते हैं, लेकिन दिल हार के भी हम जीतते हैं।

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बहादुरी मरने-मारने में नहीं, बचने-बचाने में है। आओ प्रेम की इबादत से इंसनियत का इतिहास लिखें। हिंसा से हम शरीर को नष्ट करते हैं, रूह को नहीं। कुछ क्षण के लिए हम धोखे में आ जाते हैं कि हमने दुश्मन को खत्म कर दिया है, लेकिन सच्चाई तो यह है कि हमने ऐसा करके दुश्मनी को और भी बढ़ावा दे दिया है। इसलिए चेत जाओ और गलतफहमी व खुशफहमी में न रहो। इस सृष्टि में जैसे को तैसा मिलने की स्वचलित न्याय व्यवस्था है, इसलिए अपने हाथ में कानून उठाने की दरकार नहीं। यदि हम ऐसा करते हैं तो सृष्टि के नियम में हस्तक्षेप करने के दंड के भागी हम स्वयं बन जाते हैं।

इसलिए इंसान खुद को आत्मा रूपी सीता समझ अपने मन में उस एक रात में ईश्वर को, अल्लाह को, गॉड को बसा लो तो खुद ही चलते-फिरते पूजा स्थल बन जाएंगे।


 

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