Edited By Jyoti,Updated: 22 Oct, 2020 12:46 PM
25 अक्टूबर को इस साल का दशहरा पर्व मनाया जाएगा। प्रत्येत वर्ष ये त्यौहार शारदीय नवरात्रि के तुरंत बाद आता है। कथाओं के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था।
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25 अक्टूबर को इस साल का दशहरा पर्व मनाया जाएगा। प्रत्येत वर्ष ये त्यौहार शारदीय नवरात्रि के तुरंत बाद आता है। कथाओं के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था। इसी खुशी में इस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाना शुरू हो रहा है। चलिए जानते हैं इस बार दशहरे पर ग्रहों की क्या स्थिति रहेगी साथ ही साथ जानेंगे इसका मुहूर्त तथा इससे जुड़ी पौराणिक कथा-
कुछ ऐसी रहेगी दशहरे के दिन ग्रहों की स्थिति-
ज्योतिषियों का मानना है कि इस बार दशहरे पर यानि विजयादशमी के दिन चंद्रमा सायं 4 बजकर 57 मिनट तक मकर राशि में कुंभ राशि में गोचर करेगा। इसके अतिरिक्त सूर्य इस दिन तुला राशि में, शुक्र कन्या, गुरु स्वराशि धनु, शनि स्वराशि मकर तो बुध अपनी मित्र राशि तुला में वक्री रहेंगे। इस दौरान मंगल अपनी मित्र राशि में मीन में वक्री, केतु वृश्चिक राशि और राहु वृषभ राशि में रहेंगे।
दशहरे का शुभ मुहूर्त-
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 05 मिनट से दोपहर 2 बजकर 52 मिनट तक।
अमृत काल मुहूर्त- शाम 6 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 27 मिनट तक।
पांडवों से जुड़ी प्रचलित कथा-
धार्मिक शास्त्रों में वर्णित जब कौरवों द्वारा ने पांडवों को 12 वर्ष तक वनवास और एक वर्ष तक अज्ञातवास दिया था, तो अज्ञातवास के दौरान अर्जुन अपने धनुष-वाण को शमी के वृक्ष में छिपा कर विराट राजा के यहां नौकरी करने लगे। एक दिन विराट राजा का पुत्र उत्तर कुमार गायों की रक्षा के लिए कौरवों से लड़ने गया, तब शत्रुओं की प्रबल सेना देखकर उत्तर कुमार ने रणभूमि से भागने का प्रयास किया, तब अर्जुन ने उसे रोककर अपने धनुष-वाण शमी के पेड़ से निकाले और शत्रुओं पर विजय प्राप्त की। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस तरह विजयादशमी प्राचीन काल से अधर्म पर धर्म की, पशुता पर मानवता की, राक्षसत्व पर देवत्व की विजय का दिन बन गया।