Astrology: इस योग के चलते मरने के बाद भी बनी रहती है प्रसिद्धि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 May, 2023 07:08 AM

gajkesari yoga

योग शब्द की प्रत्येक क्षेत्र में महत्ता तथा प्रियता है। ज्योतिष के क्षेत्र में भी ‘योग’ शब्द बहुत आकर्षक है। तुलसी दास जी ने राम चरित मानस में कहा है कि :

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Gajkesari yoga 2021: योग शब्द की प्रत्येक क्षेत्र में महत्ता तथा प्रियता है। ज्योतिष के क्षेत्र में भी ‘योग’ शब्द बहुत आकर्षक है। तुलसी दास जी ने राम चरित मानस में कहा है कि : 

‘ग्रह, भेषज, जल, पवन, पट, पाई, कुयोग सुयोग। होहहिं कुवस्तु सुवस्तु जग, लखहि सुलछन लोग।’’

अर्थात : औषधियां, जल, वायु, वस्त्र तथा ‘ग्रह’ कुयोग अथवा सुयोग द्वारा ही बुरी अथवा अच्छी वस्तुओं की प्राप्ति करवाते हैं। परंतु कैसे? यह तथ्य लक्षण युक्त या लक्षणशास्त्र के जानने वाले ही जानते हैं। अत: ग्रह अपनी परिवर्तनशील स्थिति द्वारा विविध प्रकार के अच्छे बुरे योगों अथवा परिस्थितियों को उत्पन्न करते हैं। पूर्व आचार्यों ने ग्रहों आदि की विभिन्न स्थितियों का अध्ययन करते हुए उन की बहुत सी स्थितियों का वर्णन अपने ग्रंथों में किया है और उन परिस्थितियों अथवा योगों को उपयुक्त नाम भी दिए हैं। यही योग विविध नामों से प्रसिद्ध हैं। ग्रह योगों के चमत्कारी प्रभाव से जातक के भाग्य और सुख दुख का अनुमान लगाया जा सकता है। इस बारे में देवज्ञ ज्योतिषी सही मार्ग दर्शन कर सकते हैं। आइए जानते हैं इस विख्यात योग के बारे में...।

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What is gajkesari yog in kundali: यदि चंद्र से केंद्र में गुरु स्थित हो तो गज केसरी योग होता है। यदि चंद्रमा शुक्र, गुरु, बुध से दृष्ट हो, देखने वाले ग्रह नीच अथवा अस्त न हों तो भी गज केसरी योग बनता है।

फल : गज केसरी योग में उत्पन्न मनुष्य तेजस्वी, धन धान्य से युक्त, मेधावी, गुण सम्पन्न, सरकार से लाभ उठाने वाला होता है।

केंद्र स्थिते देवगुरौ मृगाकांद् योगस्तदाहुर्गज केसरीति। दृष्टे सितार्यैन्दुसुते: शशांके नीचास्तहीनै र्गजकेसरी स्यात्।।

जातक पारिजात अ.7 श्लोक 116
गज केसरी संजातस्तेजस्वी धनधान्यवान्। मेधावी गुणसम्पन्नो राज्यप्राप्ति करो भवेत्।।

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Know The Impact Of Gajkesari Yog In Kundali जातक पारिजात 
गज केसरी योग ज्योतिष का सुप्रसिद्ध योग है। प्राय: बुद्धिजीवियों एवं उच्च पदाधिकारियों की कुंडली में बहुतायत से मिलता है। राजनीति में एवं व्यापार में सफल व्यक्तियों की कुंडली में भी इसे देखा जा सकता है।

चंद्रमा से केंद्र में (1, 4, 7 व 10वें भाव) बृहस्पति स्थित हो तो यह योग बनता है। फलटोपिका में इस योग का नाम केसरी योग बताया गया है। शास्त्रीय ग्रंथों में इसके फल इस प्रकार दर्शाए गए हैं।

जातक केसरी (सिंह) की तरह साहसी एवं शत्रु दमन करने वाला होता है।

ऐसा व्यक्ति सभाओं में प्रौढ़ भाषण (शोध पूर्ण, विस्तृत, तर्कपूर्ण) करने वाला माना जाता है।

ऐसा व्यक्ति राज्यवृत्ति का होता है अर्थात उसे शान शौकत का शौक होता है। विलासी होता है।

इस योग वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।

वह तीव्र बुद्धि वाला और महान यश प्राप्त करने वाला होता है।

जातक तेजस्वी, धन, धान्य से युक्त, मेधावी, गुणी और राजप्रिय होता है। इस श्लोक या पंक्ति में उपर्युक्त पांचों का प्राय: समावेश हो गया है।

जातक के अनेक संबंधी होंगे। वह नम्र और उदार स्वभाव का होगा।

वह गांव या शहर का निर्माण करेगा या उनके ऊपर शासन करेगा। इस फल कथन में अतिशयोक्ति है। जातक नगरपालिकाध्यक्ष या मेयर या अभियंता हो सकता है।

मरने के बाद भी उसकी प्रसिद्धि बनी रहती है।

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