Govardhan puja: गोवर्धन पूजा से होता है दुखों का नाश, पढ़ें पूजा मुहूर्त और विधि

Edited By Updated: 31 Oct, 2024 09:42 AM

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Govardhan puja 2024: इस वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा विधि-विधान से की जाती है।

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Govardhan puja 2024: इस वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा विधि-विधान से की जाती है। यह पर्व पांच दिवसीय दीपोत्सव के चौथे दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान चला आ रहा है। कहा जाता है कि इस दिन श्री हरि गोपाल कृष्ण की पूजा करने से साधकों के जीवन से समस्त दुःख दूर होते हैं। चलिए वैदिक पंचांग से जानते हैं, इस वर्ष गोवर्धन पूजा की सही तिथि, सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-

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Govardhan Puja Date 2024 गोवर्धन पूजा तिथि 2024
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर 2024 शुक्रवार को सायं 06 बजकर 16 मिनट पर प्रारंभ होगी। वहीं, इसका समापन 2 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को की जायेगी।

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Govardhan Puja Muhurta 2024 गोवर्धन पूजा मुहूर्त 2024
ज्योतिषाचार्य पंडित सुधांशु तिवारी जी के अनुसार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। इसके पश्चात दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से लेकर 05 बजकर 35 मिनट का शुभ मुहूर्त है। इन दोनों शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।

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Govardhan Puja vidhi गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा वाले दिन सुबह उठकर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा बनाएं। इस प्रतिमा को फूलों से सुसज्जित करें। अब गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की विधिवत पूजा करें। भगवान को फल, जल, दीपक, धूप आदि अर्पित करें। अब कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं। साथ ही गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा इस दिन अवश्य करें। अब गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा करें और हाथ में जल लेकर मंत्र जाप करें। अब अंत में गोवर्धन पर्वत की आरती उतारें और अपनी पूजा को विराम देवें।

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Importance of Govardhan Puja गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान इंद्र ब्रिजवासियों से क्रोधित हो गए और तेज बारिश कर दी। इंद्र देवता के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठा लिया था। तभी से हर साल गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। इस दिन को प्रकृति की सेवा और पूजा के रुप में मनाया जाता है।

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आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
सम्पर्क सूत्र- 9005804317

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