Ekadashi Vrat Date 2025: साल 2025 की आखिरी एकादशी कब? 30 या 31 दिसंबर

Edited By Updated: 20 Dec, 2025 08:04 AM

ekadashi vrat date 2025

Ekadashi Vrat Date 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता दूर होती है और घर...

Ekadashi Vrat Date 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। विशेष रूप से पौष मास में आने वाली पुत्रदा एकादशी को संतान सुख प्रदान करने वाला व्रत माना गया है। साल 2025 की आखिरी एकादशी को लेकर श्रद्धालुओं के बीच असमंजस बना हुआ है कि पुत्रदा एकादशी व्रत 30 दिसंबर को रखा जाए या 31 दिसंबर को। आइए जानते हैं पंचांग के अनुसार सही तिथि, पूजा मुहूर्त और पारण का समय।

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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत 2025: 30 या 31 दिसंबर?
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 30 दिसंबर 2025 को सुबह 7:50 बजे होगा और तिथि की समाप्ति 31 दिसंबर 2025 को सुबह 5:00 बजे होगी।

धर्मशास्त्रों के अनुसार, जब एकादशी तिथि दो दिनों तक रहती है, तो गृहस्थ व्यक्ति पहले दिन (30 दिसंबर) एकादशी व्रत रखते हैं। जबकि वैष्णव संप्रदाय दूसरे दिन (31 दिसंबर) उपवास करता है। इस प्रकार, पौष पुत्रदा एकादशी व्रत 30 और 31 दिसंबर दोनों दिन मान्य रहेगा।

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पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पूजा का शुभ मुहूर्तं
30 दिसंबर 2025 (गृहस्थों के लिए):
एकादशी तिथि प्रारंभ: सुबह 7:50 बजे

31 दिसंबर 2025 (वैष्णवों के लिए):
एकादशी तिथि समाप्त: सुबह 5:00 बजे
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

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पौष पुत्रदा एकादशी पारण का समय
पारण (गृहस्थों के लिए)
31 दिसंबर 2025
दोपहर 1:26 बजे से 3:31 बजे तक

पारण (वैष्णवों के लिए)
1 जनवरी 2026
सुबह 7:14 बजे से 9:18 बजे तक

ध्यान रखें कि पारण हमेशा द्वादशी तिथि में ही करना शुभ माना जाता है।

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पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुत्रदा एकादशी व्रत साल में दो बार आता है—
एक बार पौष मास में
दूसरा श्रावण मास में

इस व्रत को करने से:
संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है
संतान दीर्घायु, स्वस्थ और बुद्धिमान होती है
घर में धन-धान्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है
निःसंतान दंपतियों के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है।

साल 2025 की आखिरी एकादशी यानी पौष पुत्रदा एकादशी श्रद्धा और नियमों के साथ करने पर विशेष पुण्य प्रदान करती है। सही तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि के अनुसार व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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