Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Aug, 2023 07:54 AM
हर किसी का एक सपना होता है कि सुकून भरा एक अपना घर हो। अपने घरों में हम सकारात्मकता के साथ-साथ शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। ऐसे में, घर के लिए
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Tips Before Buying House: हर किसी का एक सपना होता है कि सुकून भरा एक अपना घर हो। अपने घरों में हम सकारात्मकता के साथ-साथ शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। ऐसे में, घर के लिए वास्तु की दिशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। घर के लिए वास्तु दिशा संपत्ति की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करती है। इसमें दिशा का सबसे अधिक महत्व होता है। जानिए क्या कहती है कौन-सी दिशा।
Vastu Tips Before Buying House: घर लेने के लिए पहली चाहत होती है कि घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो। इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से डरते हैं। यही कारण है कि दक्षिण मुखी मकान और जमीन को जल्दी कोई ग्राहक नहीं मिलता।
Vastu of south facing house should be fine दक्षिण मुखी घर का वास्तु हो ठीक
दक्षिण मुखी घर को लेकर कहा जाता है कि ऐसे घर में रहने वाले व्यक्ति को कष्ट और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे घर में रहने पर किसी की अकाल मृत्यु हो सकती है, जबकि वास्तुशास्त्री कहते हैं कि दक्षिण दिशा में मुख वाला घर अगर वास्तु अनुकूल बना हो तो दूसरी दिशाओं की तुलना में ऐसे घर में रहने वाले लोग बहुत ज्यादा यश और मान-सम्मान पाते हैं। ऐसे घर में रहने वाले लोगों का जीवन वैभवशाली होता है।
Septic tank should be in this direction इस दिशा में हो सेप्टिक टैंक
घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व कोने में होना चाहिए। दक्षिण-पश्चिम में मुख्य द्वार बिल्कुल नहीं होना चाहिए। इस स्थिति में घर वास्तु के अनुरूप कभी नहीं हो सकता। दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में और पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए। किसी भी प्रकार के भूमिगत टैंक जैसे फ्रैश वाटर टैंक, बोरिंग, कुंआ इत्यादि केवल उत्तर दिशा, उत्तर-ईशान, पूर्व-ईशान तथा पूर्व दिशा के बीच ही कम्पाऊंड वॉल के साथ हो, इसका ध्यान रखें। सैप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाएं।
उत्तर पूर्व कोण कटा हुआ, गोल, ऊंचा नहीं होना चाहिए और नैऋत्य कोण किसी भी तरह से बढ़ा हुआ या नीचा नहीं होना चाहिए। भवन के किसी भी हिस्से का फर्श ऊंचा-नीचा नहीं होना चाहिए। यदि साफ-सफाई के लिए थोड़ी ढाल देना चाहें तो उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर ढाल दे सकते हैं। इसी प्रकार प्लॉट के खुले भाग की ढाल भी उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण की ओर ही दें ताकि बरसात का पानी ईशान कोण से होकर ही बाहर निकले।
यदि गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था उत्तर या पूर्व दिशा में न हो पा रही हो तो ऐसी स्थिति में कम्पाऊंड वॉल के साथ प्लॉट के पूर्व ईशान से एक नाली बनाकर पूर्व आग्नेय की ओर बाहर निकालें या उत्तर ईशान से नाली बनाकर उत्तर वायव्य से बाहर निकाल दें। दक्षिण दिशा वाले घर का निर्माण वास्तु के इन नियमों का पालन करके बनाया जाए तो निवासियों के लिए ऐसे घर भाग्यशाली साबित होता है।