Edited By Sarita Thapa,Updated: 07 Dec, 2025 02:21 PM

हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो, जो सुख, शांति और समृद्धि से भरा हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नया घर खरीदते समय कुछ सरल वास्तु नियमों का पालन करने से उस घर में पूरे साल निरंतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार सुनिश्चित कर सकते हैं।
New Home Vastu Tips: हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो, जो सुख, शांति और समृद्धि से भरा हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नया घर खरीदते समय कुछ सरल वास्तु नियमों का पालन करने से उस घर में पूरे साल निरंतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार सुनिश्चित कर सकते हैं। एक वास्तु-अनुकूल घर न केवल खुशियां लाता है, बल्कि आपके जीवन में सफलता और स्थिरता का मार्ग भी खोलता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि घर खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो यह सुनिश्चित होता है कि उस घर में रहने वालों के लिए पूरे साल सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी। तो आइए जानते हैं कौन से वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
घर की दिशा
उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्व मुखी घर शुभ माने जाते हैं। ये दिशाएं धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए बेहतरीन होती हैं। यह कोण पानी और देवताओं का स्थान है, इसलिए इस दिशा से घर में प्रवेश करना अत्यंत शुभ माना जाता है। उत्तर-पश्चिम भी अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह धन आगमन और सामाजिक संपर्कों को बढ़ावा देता है। दक्षिण मुखी घर खरीदने से बचें, जब तक कि आप वास्तु विशेषज्ञों से उसके दोष निवारण की सलाह न ले लें।
मुख्य द्वार
मुख्य द्वार हमेशा अन्य दरवाजों की तुलना में सबसे बड़ा होना चाहिए। यह घर में ऊर्जा के प्रवेश का मुख्य बिंदु है। सुनिश्चित करें कि मुख्य द्वार के सामने कोई सीधा खंभा, बड़ा पेड़, या बिजली का ट्रांसफार्मर न हो। ऐसी बाधाएं सकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकती हैं। दरवाज़ा खोलते या बंद करते समय उसमें से कर्कश आवाज़ नहीं आनी चाहिए।

घर का आकार और बनावट
घर का आकार वर्गाकार या आयताकार होना सबसे शुभ माना जाता है। घर के शुभ कोणों में कटाव या अनियमित आकार नहीं होना चाहिए। यह स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। ध्यान दें कि घर का फर्श, विशेष रूप से मध्य भाग, अन्य कोनों से नीचा न हो।
अंदरूनी स्थान की जांच
रसोईघर
रसोईघर दक्षिण-पूर्व कोण में होना सबसे अच्छा है, क्योंकि यह अग्नि तत्व का स्थान है।
जल और अग्नि
रसोई में पानी और अग्नि को एक दूसरे के समानांतर नहीं होना चाहिए।
शयनकक्ष
यह हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जो स्थिरता और पृथ्वी तत्व का प्रतीक है।
शौचालय/टॉयलेट
शौचालय कभी भी उत्तर-पूर्व में नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह पूजा और जल का स्थान है।
सकारात्मक ऊर्जा के संकेत
घर में पर्याप्त प्राकृतिक रौशनी और हवा का संचार होना चाहिए। एक हवादार और रोशन घर सकारात्मकता को आकर्षित करता है। यदि घर के पास कोई पानी का स्रोत है, तो उसका बहाव उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है।
