Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Jul, 2023 09:24 AM
एक राजा जो गुणों का पारखी माना जाता था। एक दिन अपने दरबार में बैठा अपने सभासदों से विचार-विमर्श कर रहा था कि तभी एक व्यक्ति दरबार में आया।
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Inspirational Story: एक राजा जो गुणों का पारखी माना जाता था। एक दिन अपने दरबार में बैठा अपने सभासदों से विचार-विमर्श कर रहा था कि तभी एक व्यक्ति दरबार में आया। वह बेहद आकर्षक कपड़े पहने था। उसके चेहरे पर भी चमक थी। उसने एक बड़ा-सा गट्ठर ले रखा था। उसे देखकर दरबारी तो बहुत प्रभावित हुए पर राजा ने उसकी ओर विशेष ध्यान नहीं दिया।
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उस व्यक्ति ने राजा का अभिवादन करने के बाद बताया कि वह एक चित्रकार है। राजा ने इस बार उसमें थोड़ी रुचि ली। फिर उस व्यक्ति ने गट्ठर खोलकर अपने बनाए हुए चित्र राजा को दिखाए।
राजा ने चित्रों को देखकर चित्रकार की बहुत प्रशंसा की और उसे बैठने के लिए आसन दिया। बाद में राजा ने उसे बहुत सा धन दिया और दरबार में फिर आने का निमंत्रण भी।
चित्रकार राजा का व्यवहार देख बहुत चकराया। आखिर उसने जिज्ञासा वश राजा से पूछ ही लिया, महाराज, यह बात मेरी समझ में नहीं आई ?
राजा ने प्रश्र किया- कौन सी बात ?
चित्रकार ने कहा- महाराज, जब मैं आपके दरबार में आया था, तो आपने मेरी ओर विशेष ध्यान नहीं दिया पर उसके बाद आपने मेरा सम्मान किया, मुझे धन दिया और दरबार में पुन: आने का निमंत्रण भी दे रहे हैं। ऐसा क्यों?
राजा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया, मैं व्यक्ति के गुणों को महत्व देता हूं उसके वस्त्रों और आभूषणों को नहीं। कपड़े और गहने तो कोई भी हासिल कर सकता है पर योग्यता नहीं। तुम्हारे साथ भी यही हुआ। तुम्हारे चित्र देखकर मुझे लगा कि तुम एक अच्छे कलाकार हो, इसलिए हमने तुम्हें समुचित सम्मान दिया। यह सम्मान, मैं तुम्हें नहीं, तुम्हारी कला को दे रहा हूं।