Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jul, 2023 08:12 AM
गांधी जी के करीबी मित्रों में से एक थे डा. प्राणजीवन मेहता। रेवाशंकर और जगजीवन दास डा. मेहता के भाई थे। गांधी जी के प्रति रेवाशंकर के मन में अपार
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Inspirational Story: गांधी जी के करीबी मित्रों में से एक थे डा. प्राणजीवन मेहता। रेवाशंकर और जगजीवन दास डा. मेहता के भाई थे। गांधी जी के प्रति रेवाशंकर के मन में अपार श्रद्धा थी इसलिए गांधी जी जब बंबई जाते तो प्राय: रेवाशंकर के घर पर ही ठहरते थे। वह बापू का खूब स्वागत-सत्कार करते थे। एक दिन गांधी जी बंबई आए तो उनके साथ महात्मा आनंद स्वामी भी थे। रेवाशंकर उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने दोनों का यथोचित स्वागत किया।
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एक दिन आनंद स्वामी की रेवाशंकर के रसोइए के साथ किसी बात पर अनबन हो गई। रसोइए ने तैश में आकर कुछ ऐसा बोल दिया जो आनंद स्वामी को बहुत बुरा लगा। वह क्रोधित हो उठे और उन्होंने रसोइए को थप्पड़ मार दिया। मामला गांधी जी तक जा पहुंचा।
उन्होंने आनंद स्वामी को बुलाकर समझाया, ‘‘तुम्हारा यह आचरण अशोभनीय है।
तुमने ऐसा क्यों किया?’’ आनंद स्वामी ने जवाब दिया, ‘‘मुझे क्रोध आ गया था।
इस पर गांधी जी बोले, ‘‘क्रोध में भी हम प्राय: अपने से कमजोर लोगों को ही निशाना बनाते हैं। यदि बड़े लोगों से तुम्हारा ऐसा झगड़ा हो जाता तो उन्हें तो तुम थप्पड़ नहीं लगाते। वह नौकर है इसलिए तुमने उसे चांटा जड़ दिया। अभी जाकर क्षमा मांगो।’’
जब आनंद स्वामी ने आनाकानी की तो गांधी जी ने कहा, ‘‘अपने अपराध का प्रायश्चित तभी होता है जब पीड़ित से सच्चे हृदय से क्षमा मांग ली जाए। क्षमा से न केवल अपराध करने का बोझ समाप्त होता है बल्कि अपनी शुद्धि भी होती है। तुम स्वयं में सुधार नहीं कर सकते तो मेरे साथ भी नहीं रह सकते।
इतना सुनते ही आनंद स्वामी ने तत्काल रसोइए के पास जाकर उससे क्षमा मांग ली।