Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jul, 2023 09:58 AM
शुकदेव संसार से विरक्त होकर घर से जंगल को चल दिए। शुकदेव जी के पिता भी पीछे-पीछे यह सोचकर चल दिए, कि अगर यह
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Inspirational Story: शुकदेव संसार से विरक्त होकर घर से जंगल को चल दिए। शुकदेव जी के पिता भी पीछे-पीछे यह सोचकर चल दिए, कि अगर यह मान गया तो वापस घर ले आएंगे।
रास्ते में एक सरोवर के किनारे कुछ युवतियां स्नान कर रही थीं। शुकदेव थोड़ा आगे चल रहे थे, इसलिए वह आगे निकल गए।
तब वे युवतियां ज्यों की त्यों स्नान करती रहीं, परन्तु जब पीछे शुकदेव के पिता को आते देखा, तो सभी युवतियां अपने-अपने वस्त्र संभालने लगीं।
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पिता चकित होकर रुक गए और उन्होंने युवतियों से पूछा, ‘‘अभी मेरा युवा पुत्र यहां से निकला है तब तो तुम सब पूर्ववत स्नान करती रहीं, लेकिन इतना वृद्ध होने के बावजूद मुझे देखकर तुम लज्जावश अपने वस्त्र संभालने लगीं, ऐसा क्यों?’’
युवतियां बोलीं, ‘‘बाबा वह जवान था और आप वृद्ध, यह तो हम नहीं जानतीं, हम तो नजर की बात जानती हैं। वह अपने में खोया था, उसकी नजर में स्त्री-पुरुष का कोई भेद ही हमें नजर नहीं आया, वह तो सब कुछ देखते हुए भी मानो कुछ नहीं देख रहा था, लेकिन आपकी नजर में वह वीतरागता हमें नजर नहीं आई, इसलिए स्वत: ही ऐसा हुआ।’