Edited By Jyoti,Updated: 11 Aug, 2020 01:19 PM
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने भाद्रपद के कृष्ण पक्षी का अष्टमी तिथि की रात को मां देवकी से गर्भ से जन्म लिया था।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने भाद्रपद के कृष्ण पक्षी का अष्टमी तिथि की रात को मां देवकी से गर्भ से जन्म लिया था। किंवदंतियों के अनुसार श्री कृष्ण ने ये मनमोहक अवतार कंस व उस जैसे तमाम अन्यायी राजाओं से लोगों को मुक्ति दिलवाने के लिया था। यूं तो श्री हरि ने और भी कई अवतार लिए थे परंतु इनके श्री कृष्ण अवतार की बात सबसे निराली हैं। इन्होंने अपने इस रूप में इतनी लीलाएं की हैं, जिनका जितना वर्णन किया जाए कम हैं। इनकी यहीं लीलाएं उस समय से लेकर आज तर हर किसी को इनकी और आकर्षित करती हैं। तो वहीं इनकी लीलाओं के कारण ही इन्हे एक नहीं बल्कि अनेक नामों से जाना जाता है।
यूं तो शास्त्रों में वर्णन मिलता है इनका नामकरण-संस्कार गंगाचार्य ने किया था। पर जैसे-जैसे ये अपनी लीलाएं दिखाते हैं लोग इन्हें अलग अलग नामों से पुकारने लगे। आगे चलकर ज्योतिष शास्त्र में इन्हीं नामों का स्मरण होने लगा। अब आप सोचेंगे कि भला वो कौन से नाम हैं? तो आपको बता दें धार्मिक शास्त्रों में इनके विभिन्न नाम बताए गए हैं जिनका स्मरण करने से भगवान श्री कृष्ण पर प्रसन्न होते हैं और खुश हो कर जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तो चलिए आपको जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर बताते हैं राशिअनुसार किए जाने वाले मंत्रों के बारे में, जिनमें श्री कृष्ण के विभिन्न नाम हैं
मेष
ॐ माधवाय नम:
वृष
ॐ गोहितो नम:
मिथुन
ॐ वत्सलाय: नम:
कर्क
ॐ श्रीधर नम:
सिंह
ॐ विजितात्मा नम:
कन्या
ॐ सर्वदर्शी नम:
तुला
ॐ वासुदेवो नम:
वृश्चिक
ॐ गंभीरात्मा नम:
धनु
ॐ देवकीनंदन: नम:
मकर
ॐ भक्तवत्सल: नम:
कुंभ
ॐ लोहिताक्ष: नम:
मीन
ॐ कृष्णाय नम:
इसके अलावा बता दें जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर जो जातक 'कृष्णाष्टक'या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का जाप करता है, उसे श्री कृष्ण की विशेष प्राप्त होत है।