Edited By Lata,Updated: 14 Oct, 2019 03:08 PM
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखती हैं।
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करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखती हैं। ये व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है और इस बार ये 17 अक्टूबर को रखा जा रहा है। बता दें कि इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भोजन करती है, जिसे सरगी कहा जाता है और बाके के दिन वे बिना खाए-पिए रहती हैं व रात के समय चांद को देखकर ही अपना व्रत खोलती है। ये व्रत ज्यादातर शादीशुदा महिलाएं ही रखती हैं। लेकिन कुछ स्थानों पर कुंआरी कन्याएं भी इस व्रत का पालन करती हैं। किंतु कुंआरी लड़कियों और महिलाओं के लिए व्रत के नियम अलग-अलग हैं, आइए जानते हैं कि अविवाहित इसे किस तरह रख सकती हैं।
कहते हैं कि कुंवारी लड़कियां और ऐसी लड़कियां जिनका विवाह तय हो गया है, वे भी करवा चौथ का व्रत करती हैं। अविवाहित लड़कियों को व्रत का पालन सामान्य नियामनुसार ही करना होता है लेकिन व्रत में पूजा से संबंधित कुछ नियम इनके लिए बदल जाते हैं। जो इनके व्रत को विवाहित महिलाओं के व्रत से अलग करते हैं। कुंवारी लड़कियां निराहार व्रत रह सकती हैं, उन्हें निर्जल व्रत रखने की जरूरत नहीं है। शादी के बाद वह निर्जल व्रत रखें क्योंकि आपकी शादी नहीं हुई है इसलिए आपके लिए न तो सरगी होगी और न ही आप बायना निकालेंगी। कुंवारी लड़कियां केवल करवा चौथ माता, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करें और उनकी कथा सुन सकती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी लड़कियों को चांद देखकर व्रत नहीं खोलना चाहिए। वह तारे देखकर व्रत का समापन कर सकती हैं। तारों को जल से अर्घ्य देकर पूजन करें और व्रत खोल सकती है।