Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Nov, 2025 09:16 AM

Khatu Shyam Baba: खाटू श्याम बाबा की महिमा अपरंपार है। महाभारत काल के बर्बरीक से खाटू श्याम बाबा बनने तक की उनकी कथा हर भक्त को धर्म और दान के महत्व का पाठ पढ़ाती है। बाबा की पूजा, आराधना और दर्शन के लिए सप्ताह में एक ऐसा दिन है जो सबसे शुभ और सबसे...
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Khatu Shyam Baba: खाटू श्याम बाबा की महिमा अपरंपार है। महाभारत काल के बर्बरीक से खाटू श्याम बाबा बनने तक की उनकी कथा हर भक्त को धर्म और दान के महत्व का पाठ पढ़ाती है। बाबा की पूजा, आराधना और दर्शन के लिए सप्ताह में एक ऐसा दिन है जो सबसे शुभ और सबसे फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई हर मुराद और प्रार्थना बाबा अवश्य सुनते हैं और पूरी करते हैं।
खाटू श्याम बाबा की पूजा का सबसे शुभ दिन
कलयुग में खाटू श्याम बाबा को वो दिव्य शक्ति माना जाता है, जो संकट में हर भक्त का सहारा बनते हैं। उनकी महिमा की शुरुआत महाभारत काल से होती है। खाटू श्याम का वास्तविक नाम वीर बर्बरीक था, जो महाबली भीम के पुत्र थे। बर्बरीक महान त्याग, साहस और भक्ति के प्रतीक थे।
कहानी के अनुसार, उन्होंने भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश अर्पित कर दिया था। इस अद्भुत बलिदान से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलयुग में वे श्याम नाम से पूजे जाएंगे। इसी वरदान के कारण बर्बरीक आज खाटू श्याम बाबा के नाम से पूरी दुनिया में जाने जाते हैं।

माना जाता है कि कलयुग में उनकी उपासना करने से भक्तों की मन की हर इच्छा पूरी होती है और जीवन की मुश्किलें दूर होती हैं। श्रीकृष्ण का अंश माने जाने वाले खाटू श्याम बाबा की पूजा के लिए गुरुवार का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। गुरुवार देव गुरु बृहस्पति का दिन है और भगवान विष्णु से भी जुड़ा हुआ है। चूंकि श्रीकृष्ण, विष्णु के अवतार माने जाते हैं, इसलिए गुरुवार को की गई श्याम बाबा की पूजा विशेष फल देती है।
इसके साथ ही एकादशी तिथि भी श्याम बाबा की आराधना के लिए बहुत शुभ और फलदायी मानी जाती है। भक्तों का मानना है कि इन दोनों दिनों में की गई पूजा विशेष रूप से मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
