रहस्यमयी मंदिर- यहां आंख, नाक और कान बंद करके होती है पूजा

Edited By Jyoti,Updated: 15 Jun, 2022 01:43 PM

laatu devta mandir

दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो लोगों के लिए आज भी रहस्य बनी हुई हैं। ऐसी जगहों में से एक उत्तराखंड में स्थित है, जहां पर किसी का भी जाना सख्त मना है। तो चलिए जानते हैं कि आख़िर ऐसा क्यों होता है और कहां स्थित है

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दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो लोगों के लिए आज भी रहस्य बनी हुई हैं। ऐसी जगहों में से एक उत्तराखंड में स्थित है, जहां पर किसी का भी जाना सख्त मना है। तो चलिए जानते हैं कि आख़िर ऐसा क्यों होता है और कहां स्थित है ये मंदिर। बता दें कि रहस्यों के भरा ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली के वांण गांव में लाटू देवता के नाम से स्थित है। मान्यता है यहां पर पुजारी के अलावा और किसी महिला और पुरुष को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। श्रद्धालु इस मंदिर परिसर से लगभग 75 फीट की दूरी पर रहकर पूजन करते हैं क्योंकि स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ रहते हैं। जिसे आम लोग नहीं देख सकते हैं। मणि के दर्शन करने पर आंखों की रोशनी जा सकती है इसलिए पुजारी आंख पर पट्टी बांधकर ही मंदिर में प्रवेश करता हैं

मान्यता है कि इस मंदिर के अंदर साक्षात रूप में नागराज अपने अद्भुत मणि के साथ वास करते हैं, जिसे देखना आम लोगों के वश की बात नहीं है। पुजारी भी साक्षात विकराल नागराज को देखकर न डर जाएं, इसलिए वे अपने आंख पर पट्टी बांधते हैं। आपको बता दें कि हिमालय की सबसे लंबी नंदा देवी राजजात यात्रा को संपन्न कराने में लाटू देवता की अहम भूमिका होती है। इसके अलावा आपको बता दें वाण में स्थित लाटू देवता के मंदिर का कपाट सालभर में एक ही बार खुलता हैं। इस दिन यहां विशाल मेला आयोजित होता है। वांण क्षेत्र में लाटू देवता के प्रति लोगों में बड़ी श्रद्धा है। लोग अपनी मनोकामना लेकर लाटू देवता के मंदिर में आते हैं, कहते हैं यहां से मांगी मनोकामना जरुर पूरी होती है।

यहां जानिए कौन हैं लाटू देवता- 
दरअसल लाटू देवता आराध्य देवी नंदा देवी के धर्म भाई हैं। इसलिए नंदा देवी की यात्रा पूरी करने के लिए लाटू देवता के दर्शन करना ज़रूरी माना जाता है और इसका कथन एक पौराणिक कथा में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार लाटू कनौज के गौड़ ब्राह्मण थे, जो मां नंदा के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत की यात्रा पर चले थे। वे जब वाण गांव पहुंचे, वहां उन्हें प्यास लग गई। उन्होंने वहां एक घर में महिला से पानी मांगा। महिला रजुसला थी, इसलिए महिला ने ब्राह्मण से कहा कि उस कमरे में तीन घड़े हैं, उनमें से एक घड़े में पानी है पी लीजिए। ब्राह्मण ने पानी की जगह मदिरा पी लिया। ब्राह्मण नशे में जमीन पर गिर गए और उनकी जीभ कट गई। खून ज़मीन पर गिरते ही मां नंदा ने दर्शन दिए और कहा तुम मेरे धर्म भाई हो और कहा कि मेरी यात्रा का यहां से आगे का होमकुंड तक अगुवा रहेगा भक्त मेरी पूजा से पहले तुम्हारी पूजा करेंगे। 

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