Maa Kushmanda: चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की आराधना, जानें महत्व और पूजन विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Apr, 2024 08:04 AM

maa kushmanda

चैत्र नवरात्रि का आज चौथा दिन है। कहते हैं देवी ने अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से इस ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था। जिसके चलते इन्हें कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। इनकी उपासना शांत मन के साथ करनी चाहिए।

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Navratri 4th Day 2024: चैत्र नवरात्रि का आज चौथा दिन है। कहते हैं देवी ने अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से इस ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था। जिसके चलते इन्हें कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। इनकी उपासना शांत मन के साथ करनी चाहिए। मां कुष्मांडा की पूजा से अजय रहने का वरदान मिलता है। कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कुष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी इसलिए इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहते हैं।

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Devi Kushmanda Mantra देवी कुष्मांडा मंत्र-
मां कूष्मांडा की पूजा करते समय “या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:” मंत्र का जाप करने से माता रानी के प्रसन्न होने की मान्यता है।

Maa Kushmanda bhog मां कुष्मांडा का भोग-
मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

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Maa Kushmanda ka swaroop मां कुष्मांडा का स्वरूप
माना जाता है कि देवी भगवती के कूष्मांडा स्वरूप ने अपनी मंद मुस्कुराहट से ही सृष्टि की रचना की थी इसलिए देवी कुष्मांडा को सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति माना गया है। देवी कुष्मांडा को समर्पित इस दिन का संबंध हरे रंग से जाना जाता है। माता रानी की आठ भुजाएं हैं, जिसमें से सात में उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र और गदा लिया हुआ है। माता के आठवें हाथ में जप माला है और मां सिंह के वाहन पर सवार हैं।

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Maa Kushmanda puja vidhi मां कुष्मांडा की पूजन विधि
नवरात्रि के चौथे दिन जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवताओं की पूजा करें। इसके बाद देवी कुष्मांडा की पूजा प्रारंभ करें। पूजा शुरू करने से पहले अपने हाथ में फूल लेकर देवी को प्रणाम करें और देवी का ध्यान करें। इस दौरान आप इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप अवश्य करें, ऊं देवी कूष्माण्डायै नम:। इसके बाद सप्तशती मंत्र, उपासना मंत्र, कवच, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती अवश्य करें। इस दौरान अनजाने में भी हुई खुद से किसी भी भूल की देवी से क्षमा मांग लें।

Maa Kushmanda upay एक उपाय से प्रसन्न होंगी मां कुष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करें। उन्हें भोजन में दही और हलवे का भोग लगाएं। इसके बाद उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। देवी मां की सच्चे मन से की गई साधना आपको खुशियों की सौगात दे सकती है।

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Story of Maa Kushmanda मां कुष्मांडा की कथा
शास्त्रों के अनुसार, जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी, तब इसका कोई अस्तित्व नहीं था क्योंकि चारों और अंधकार छाया हुआ था।तब मां कुष्मांडा ने अपने ईषत् हास्य (मंद मुस्कान) से सृष्टि की उत्पत्ति की इसलिए इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है। मंद हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण ही इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।

मां कुष्मांडा के पास इतनी शक्ति है कि, वह सूर्य के भी घेरे में रह सकती हैं। इनका वास सूर्यमंडल के भीतर है। केवल मां कुष्मांडा में ही सूर्यलोक के भीतर रहने की क्षमता है और इन्हीं के तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। कहा जाता है कि इन्हीं के तेज से ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में तेज व्याप्त है। सच्चे मन से देवी कुष्मांडा की पूजा करने पर देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इनकी पूजा करने से रोग-शोक दूर होते हैं और यश-आयु में वृद्धि होती है।

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी 
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य 
9005804317

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