Mahashtami 2024: कन्या पूजन के दौरान इन नियमों का रखें ध्यान, जगत जननी भरेंगी आपके खाली भंडार

Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Apr, 2024 06:34 AM

इस समय देशभर में चैत्र नवरात्रि की रौनक छाई हुई है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन का हर दुख दूर होता है। बता दें कि

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Chaitra Navratri 2024: इस समय देशभर में चैत्र नवरात्रि की रौनक छाई हुई है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन का हर दुख दूर होता है। बता दें कि 9 दिनों तक व्रत करने के बाद कन्या पूजन के बाद ही व्रत का पारण होता है। कुछ लोग अष्टमी पर तो कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। इस साल 16 अप्रैल को नवरात्रि की महाष्टमी  यानि आज और 17 अप्रैल को महानवमी पड़ रही है लेकिन बता दें कि कन्या पूजन के कुछ खास नियम है, जिसे न अपनाने पर आपको कंजक पूजन का फल नहीं मिलता और साथ ही नौ दिन का व्रत भी निष्फल हो जाता है। तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं कन्या पूजन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

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सबसे पहला नियम- बता दें कि धर्म शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक की ही कन्याओं को निमंत्रण दें। पूजन के लिए कन्याओं की संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए और एक बालक को भी भोजन के लिए न्योता दें।  बटुक के बिना कन्या पूजन अधूरा माना गया है, क्योंकि मां दुर्गा के साथ बटुक यानी भैरव की पूजा अनिवार्य है। 

 तो वही बता दें कि वैसे तो हर लड़की मां का ही रूप है लेकिन 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं का पूजन करना बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि इससे ज्यादा उम्र की कन्याएं कुमारिका नहीं कहलाती है।  2 या 3 साल की कन्याओं का पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। 

 4 साल की कन्याओं का पूजन करने से विवाह आदि के मंगल कार्य संपन्न होते हैं। 

 इसी के साथ 5 साल की कन्या का पूजन करने से स्वास्थ्य में लाभ, 6 साल की कन्या के पूजन से शत्रुओं का नाश होता है क्योंकि इन्हें कालिका का रूप माना गया है। 

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 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 8 साल की कन्या का पूजन करने से दरिद्रता का नाश होता है। 9 साल की कन्या का पूजन करने से सभी काम सिद्ध होते हैं। वहीं देवी भागवत पुराण के अनुसार 10 साल की कन्या पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

बता दें कि इन छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना गया है। ऐसे में भूलकर भी इन्हें डांटे नहीं और न ही अपशब्द बोलें। ऐसा करने वालों से देवी दुर्गा क्रोधित हो जाती हैं। 

 वहीं इस दिन कन्या भोज से पहले भोजन को जूठा न करें। ध्यान रखें कि भोजन सात्विक होना चाहिए।  इसमें लहसुन, प्याज का इस्तेमाल न करें।

 बताते चलें कि कन्या पूजन के दिन कन्याओं के घर आने पर सबसे पहले इनके पैर दूध या जल से धोने चाहिए। फिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके हल्दी, कुमकुम से टीका करें, लाल चुनरी ओढ़ाएं। बता दें कि कन्या पूजन के बाद कन्याओं को दान-दक्षिणा अवश्य दें। 

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