Mangala Gauri Vrat: 15 जुलाई को है पहला मंगला गौरी व्रत,  Love Life में चल रही परेशानियों को करें दूर

Edited By Updated: 14 Jul, 2025 02:01 PM

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Mangala Gauri Vrat 2025: सावन का महीना शिव और शक्ति को समर्पित माह है। भोले बाबा की उपासना के लिए सावन सोमवार व्रत रखने का विधान है, उसी तरह सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए और...

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Mangala Gauri Vrat 2025: सावन का महीना शिव और शक्ति को समर्पित माह है। भोले बाबा की उपासना के लिए सावन सोमवार व्रत रखने का विधान है, उसी तरह सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए और विवाहित महिलाएं मैरिड लाइफ में चल रही प्रॉब्लम्स का नाश करने हेतु और अखंड सौभाग्य की कामना से ये व्रत करती हैं। मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचलित है। हालांकि देश के अन्य हिस्सों में भी इसे मनाया जाता है लेकिन वह तारीख इन राज्यों से अलग रहती है।

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मंगला गौरी व्रत को लेकर हर महिला की अपनी-अपनी मान्यता और खुशी है। कुछ महिलाएं इस व्रत को केवल सावन माह में आने वाले मंगलवार को रखती हैं और अन्य सावन के मंगलवार से आरंभ करके 16 मंगलवार तक लगातार करती हैं। यदि पहली बार मंगला गौरी व्रत कर रही हैं तो 5 वर्ष तक इसे करना अनिवार्य माना गया है तत्पश्चात इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए।

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Mangala Gauri Vrat 2025 मंगला गौरी व्रत 2025
श्रावण 2025 का आरंभ 11 जुलाई से हो गया है, जो 9 अगस्त तक चलेगा। सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को है और 15 जुलाई मंगलवार को पहला मंगला गौरी व्रत होगा।

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To get rid of the problems in love life, worship in this way on Mangala Gauri Vrat प्रेम जीवन में चल रही परेशानियों को दूर करने हेतु मंगला गौरी व्रत पर इस विधि से करें पूजा- इस व्रत को रखने के लिए सावन के हर मंगलवार को सुबह जल्दी उठ कर नए कपड़े पहन कर मां मंगला गौरी यानी देवी पार्वती के चित्र या मूर्ति की विधिवत पूजा करनी चाहिए। चौकी पर सफेद या लाल साफ कपड़े पर इसे रखकर पूजन विधि सम्पन्न करें। मंगला गौरी पूजा में 16 की संख्या का बहुत महत्व है इसलिए पूजा में जहां दीपक 16 बत्तियों वाला जलाना चाहिए तो वहीं मां को 16 चीजों का भोग लगाना चाहिए। साथ ही सुहाग की निशानी के लिए 16 चूड़िया भी चढ़ानी चाहिए। पूजन की यह सामग्री बाद में किसी सुहागिन को दान की जा सकती है।

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