Love Stories of Mahabharata: महाभारत की वे 10 प्रेम गाथाएं, जिनसे बदला पूरा आर्यावर्त

Edited By Updated: 08 Dec, 2025 09:33 AM

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Love Stories of Mahabharata: महाभारत केवल युद्ध की कहानी नहीं है। यह मनुष्यों की भावनाओं, प्रेम, आकर्षण, वफादारी, विवाह और विश्वासघात की भी गाथा है। जहां एक ओर राज्य और सत्ता के लिए संघर्ष है, वहीं दूसरी ओर प्रेम के रिश्ते इतिहास को मोड़ देते हैं।...

Love Stories of Mahabharata: महाभारत केवल युद्ध की कहानी नहीं है। यह मनुष्यों की भावनाओं, प्रेम, आकर्षण, वफादारी, विवाह और विश्वासघात की भी गाथा है। जहां एक ओर राज्य और सत्ता के लिए संघर्ष है, वहीं दूसरी ओर प्रेम के रिश्ते इतिहास को मोड़ देते हैं। महाभारत में कई प्रेम कथाएं ऐसी हैं, जिनके कारण न सिर्फ चरित्रों का जीवन बदला, बल्कि सम्पूर्ण आर्यावर्त का इतिहास भी प्रभावित हुआ। यहां प्रस्तुत हैं महाभारत की 10 प्रमुख प्रेम कहानियां, जिन्होंने इतिहास को नई दिशा दी।

Love Stories of Mahabharata

सत्यवती और ऋषि पराशर: सुगंध से भरी एक दिव्य प्रेम कथा
मछुवारे की पुत्री सत्यवती यमुना पर नाव चलाती थीं। एक दिन ऋषि पाराशर उसी नाव में बैठे। सत्यवती की सुगंध और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ऋषि ने प्रेम का प्रस्ताव रखा। सत्यवती ने तीन कठोर शर्तें रखीं संबंध कोई न देखे, कौमार्य प्रभावित न हो, शरीर की गंध सुगंध में बदल जाए। ऋषि ने तीनों स्वीकार कीं। इस दिव्य मिलन से वेदव्यास का जन्म हुआ, जिन्होंने महाभारत की रचना की। यह प्रेम महाभारत का मूल बीज था।

शांतनु और सत्यवती : प्रेम जिसने इतिहास की धारा मोड़ दी
देवव्रत (भीष्म) के पिता महाराज शांतनु सत्यवती पर मोहित हुए। सत्यवती के पिता ने शर्त रखी कि उनके वंश का बेटा ही हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी होगा। अपने पिता के प्रेम हेतु देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और भीष्म बने। यदि शांतनु सत्यवती से प्रेम न करते, तो महाभारत का इतिहास अस्तित्व में ही न आता।

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रुक्मिणी और कृष्ण : प्राणप्रिय प्रेम और साहसी हरण
विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी ने कृष्ण को अपना पति मान लिया था। लेकिन उसका भाई रुक्म उसे शत्रु शिशुपाल से विवाह कराना चाहता था। रुक्मिणी का संदेश पाकर कृष्ण स्वयं विदर्भ पहुंचे और मंडप से उनका हरण कर विवाह कर लिया। यह प्रेम सम्मान, प्रतिष्ठा और आस्था के आधार पर खड़ा था।

अर्जुन और सुभद्रा : श्रीकृष्ण की रणनीति से जन्मा प्रेम
बलराम सुभद्रा की शादी कौरवों से करवाना चाहते थे। पर सुभद्रा और अर्जुन मन ही मन एक-दूसरे को पसंद करते थे। कृष्ण ने स्वयं योजना बनाई और अर्जुन को सुभद्रा का रण-हरण करने को कहा। बाद में दोनों का विधिवत विवाह हुआ और अभिमन्यु का जन्म इस प्रेम का परिणाम था।

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अर्जुन और चित्रांगदा : मणिपुर का राजसी प्रेम
अर्जुन ने तीर्थयात्रा के दौरान मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा को देखा और दोनों का प्रेम विवाह हुआ। चित्रवाहन ने शर्त रखी कि उनका नाती ही मणिपुर का उत्तराधिकारी होगा। उनके पुत्र बब्रुवाहन ने बाद में युद्ध में अर्जुन को पराजित भी किया।

अर्जुन और उलूपी : नागलोक की विलक्षण प्रेमकथा
हरिद्वार में स्नान करते समय नागकन्या उलूपी अर्जुन पर मोहित हुई। वह उन्हें नागलोक ले गई और विवाह का अनुरोध किया। इस मिलन से इरावान का जन्म हुआ। उलूपी ने बाद में अर्जुन को जल में अजेय रहने का वरदान दिया और कुरुक्षेत्र के बाद उनके शापमोचन में भी भूमिका निभाई।

साम्ब और लक्ष्मणा : प्रेम जिसने हस्तिनापुर को कांपाया
कृष्ण–जाम्बवती के पुत्र साम्ब दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से प्रेम करने लगे। साम्ब ने उसका हरण किया, जिससे कौरव क्रोधित हो गए और उन्हें बंदी बना लिया। बलराम जब हस्तिनापुर पहुंचे और कौरवों ने उनकी बात नहीं मानी, तब उन्होंने पूरा नगर हल से खींचकर गंगा में डालने की तैयारी कर दी। भयभीत कौरवों ने साम्ब व लक्ष्मणा का विवाह संपन्न कराया।

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भीम और हिडिंबा : राक्षसी का पवित्र प्रेम
लाक्षागृह से बचने के बाद पांडव जब एक जंगल में रुके, वहां राक्षस हिडिंब की बहन हिडिंबा भीम पर मोहित हो गई। भीम ने उसका प्रस्ताव स्वीकार किया और विवाह हुआ। इस प्रेम से घटोत्कच का जन्म हुआ, जिसने महाभारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कर्ण और द्रौपदी : अधूरी और विवादित प्रेमकथा
स्वयंवर में द्रौपदी ने कर्ण को सूत-पुत्र कहकर अस्वीकार कर दिया। किंतु कर्ण भीतर ही भीतर द्रौपदी से प्रेम करते थे। यह तथ्य भीष्म के सामने स्वीकार किया। द्रौपदी को भी यह बात बहुत बाद में पता चली। यह प्रेम कभी पूरा न हो सका और कर्ण के भीतर एक गहरी पीड़ा बनकर रहा।

राजा दुष्यंत और शकुंतला : प्रेम, वचन और वियोग की सबसे कोमल गाथा
कण्व ऋषि के आश्रम में दुष्यंत ने शकुंतला को देखा और मोह लिया। दोनों का गंधर्व विवाह हुआ। दुर्वासा के श्राप के कारण दुष्यंत शकुंतला को भूल गए। लापता हुई अंगूठी बाद में मछली के पेट से निकली और दुष्यंत को सब याद आ गया। कश्यप आश्रम में अपने पुत्र भरत को देखकर दुष्यंत भावुक हुए और शकुंतला को राज्य ले आए। इसी भरत के नाम पर भारतवर्ष का नाम पड़ा।

महाभारत की इन प्रेम कहानियों में आकर्षण, त्याग, संघर्ष, राजनीति, रणनीति और भावनाओं की तीव्रता एक साथ दिखती है। किसी प्रेम ने युद्ध शुरू करवाया, किसी ने राज्य बचाया और किसी ने इतिहास को बदल दिया। महाभारत का हर रिश्ता अनोखा है और प्रेम उसकी आत्मा।

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