संपूर्ण चोपड़ा वंश पर है माता मतीनी व सती माता का आशीर्वाद

Edited By Jyoti,Updated: 07 Oct, 2022 04:38 PM

mata matini and sati matas blessings are on the entire chopra lineage

पंजाब में नवांशहर के पंडोरा मोहल्ला में चोपड़ा गोत्र की माता मतीनी व सती माता की समाधि पर चोपड़ा वंश के लोग विश्व भर से आकर माथा टेकते और आशीर्वाद लेते हैं। 'चोपड़ा' परिवार सती माता मंदिर मैनेजमैंट एंड वैल्फेयर

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पंजाब में नवांशहर के पंडोरा मोहल्ला में चोपड़ा गोत्र की माता मतीनी व सती माता की समाधि पर चोपड़ा वंश के लोग विश्व भर से आकर माथा टेकते और आशीर्वाद लेते हैं। 'चोपड़ा' परिवार सती माता मंदिर मैनेजमैंट एंड वैल्फेयर कमेटी’ के चेयरमैन श्री राजेंद्र चोपड़ा तथा प्रधान श्री अशोक चोपड़ा ने बताया कि इस स्थान से जुड़ी एक कथा के अनुसार अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह अब्दाली ने 1747 से 1767 ई. तक भारत प्रवास के दौरान पंजाब पर कुल 8 आक्रमण किए तथा 1752 ई. में पंजाब पर कब्जा कर लिया। 

उसने यहां के लोगों के धर्मस्थल नष्ट कर दिए। उसने पंजाब के कस्बा राहों में सर्वाधिक संख्या में रहने वाले चोपड़ा वंश के लोगों का भी वध करना शुरू कर दिया, जिससे यह वंश पूर्णत: समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया। भगवान की कृपा से इस तबाही में बच निकले  एक छोटे से बालक ने वाल्मीकि समुदाय से संबंधित माता मतीनी नामक एक देवी से रक्षा की गुहार लगाई, जो उस बालक को अब्दाली से बचा कर राहों से नीवां शहर (वर्तमान नवांशहर) ले आईं। 1773 में अब्दाली घोड़े से गिरकर मर गया और माता मतीनी की भी इस घटना के करीब 30 वर्ष बाद मृत्यु हो गई परंतु वह बच्चा सुरक्षित रहा। चोपड़ा वंश के सदस्यों ने माता मतीनी की समाधि चोपड़ा वंश की सतियों की समाधियों के निकट बनाई है। इनके साथ ही सती माता का मंदिर है। 

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कहा जाता है कि सती माता सपने में कुछ श्रद्धालुओं को दर्शन देकर यहां भव्य स्थान बनाने तथा सेवा करने के लिए प्रेरित करती रहती हैं। इस स्थान के बारे में यह कथा भी प्रचलित है कि कुरुक्षेत्र में एक सेठ के घर पोता न होने के कारण वह दुखी रहता था। एक रात उसके सपने में आकर कुलदेवी सती माता ने सेठ को माई मतीनी की समाधि पर जाकर देसी घी का लंगर लगाने को कहा। उस सेठ ने ऐसा ही किया और बाद में उसके घर में एक पोते ने जन्म लिया। तभी से चोपड़ा वंश के सदस्य प्रति वर्ष इस स्थान पर देसी घी का लंगर लगाते आ रहे हैं। चोपड़ा वंश भी माता मतीनी को अपने वंश की रक्षक मानता है।चोपड़ा वंश के सदस्यों ने इस स्थान को अत्यंत आकर्षक बना दिया है। यहां श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बड़ा हॉल बनाया गया है। प्रति वर्ष नौवें श्राद्ध पर माई मतीनी की याद में यहां मेला लगाया जाता है। यहां नवविवाहिता व नवजात बच्चे का माथा टिकाने की प्रथा है। यहां 18 सितम्बर को आठवें श्राद्ध पर रात 9 बजे से सती माता का गुणगान तथा 19 सितम्बर को नौवें श्राद्ध के अवसर पर सुबह 10 बजे हवन यज्ञ के उपरांत देसी घी का भंडारा लगाया जाएगा।

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