Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Dec, 2023 12:05 PM
बात पुरानी बहुत है। एक वृक्ष पर दो तोते रहते थे। तेज आंंधी में दोनों बिछुड़ गए। एक तोता चोरों की बस्ती में और दूसरा ऋषियों के आश्रम में पहुंच
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Motivational Story: बात पुरानी बहुत है। एक वृक्ष पर दो तोते रहते थे। तेज आंंधी में दोनों बिछुड़ गए। एक तोता चोरों की बस्ती में और दूसरा ऋषियों के आश्रम में पहुंच गया। दोनों वहीं रहने लगे मगर दोनों को ही एक-दूसरे का पता-ठिकाना मालूम था। कई वर्ष गुजर गए।
एक दिन मगध के राजा शिकार के लिए निकले। वह चोरों की बस्ती ही के एक सरोवर के किनारे आराम करने लगे। इतने में किसी की कर्कश वाणी सुनकर उसकी नींद टूट गई। वह आवाज एक तोते की थी, जो बोल रहा था, अरे कोई है ! इस आदमी के पास बहुत धन है। यह गले में मोतियों और हीरों की माला पहने हुए है। इसकी गर्दन दबाकर मोतियों की माला निकाल लो और लाश को झाड़ी में गाड़ दो। किसी को भी पता नहीं चलेगा।’
तोते को मनुष्य की तरह बोलते देखकर राजा एकाएक डर गया। वह आगे चल दिया। आगे ऋषियों का आश्रम था। वह आश्रम में पहुंचा। उस समय ऋषि-मुनि भिक्षा लेने के लिए गए हुए थे। इतने में ही वहां किसी की कोमल वाणी उसके कानों में पड़ी। वह वाणी एक तोते की थी।
तोते ने राजा को देखकर कहा, ‘‘आइए राजन। बैठिए। सभी ऋषि-मुनि अभी भिक्षाटन के लिए गए हुए हैं। प्यास लगी हो तो ठंडा पानी पीजिए और यदि भूख लगी हो तो फल का सेवन कीजिए।’’
राजा चकित होकर वृक्ष पर बैठे उस तोते की ओर देखने लगा। तोते का रूप रंग बिल्कुल चोरों की बस्ती में रहने वाले तोते जैसा ही था। यह देखकर राजा तोते से बोला, ‘‘हे शुक कुमार! मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं। यहां से कुछ दूर एक वृक्ष की डाली पर भी एक तोता बैठा हुआ था। वह बिल्कुल तुम्हारे जैसा था, किन्तु उसमें तुम्हारे समान गुण नहीं थे। क्या तुम उसे जानते हो ?’’
यह सुनकर उस तोते ने कहा, ‘‘हां राजन। वह मेरा सगा भाई है। संगति के कारण हम दोनों भाइयों में अलग-अलग गुण आ गए हैं। कोई इनको गुण कहता है तो कोई अवगुण। सच ही कहा जाता है कि संगति का प्रभाव व्यक्ति पर अनिवार्य रूप से पड़ता है।