नक्षत्रों से जानिए अपना भविष्य

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Aug, 2019 12:41 PM

nakshatra and indian astrology

प्राचीन ऋषि-महर्षियों ने अपनी दिव्य दृष्टि एवं सूझ-बूझ द्वारा क्रांतिपथ के इर्द-गिर्द फैले हुए उन नक्षत्र समूहों का उच्च-स्तरीय ज्ञान प्राप्त कर लिया था। जो मानव को प्रभावित करते हैं। वैदिक तथा महाभारत काल तक भारतीय ज्योतिष में

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प्राचीन ऋषि-महर्षियों ने अपनी दिव्य दृष्टि एवं सूझ-बूझ द्वारा क्रांतिपथ के इर्द-गिर्द फैले हुए उन नक्षत्र समूहों का उच्च-स्तरीय ज्ञान प्राप्त कर लिया था। जो मानव को प्रभावित करते हैं। वैदिक तथा महाभारत काल तक भारतीय ज्योतिष में राशियों का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था। उस समय ज्योतिष विज्ञान केवल नक्षत्र विज्ञान ही था। नक्षत्रों के आधार पर ही विभिन्न ग्रहों का शुभाशुभ फलकथन किया जाता था। 

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आज हम नक्षत्रों के आधार पर फलकथन की विद्या को भूल से गए हैं। हां, फलकथन के अतिरिक्त अधिकांश ज्योतिषीय कार्य नक्षत्रों के आधार पर ही करते आ रहे हैं। जन्म नक्षत्र के आधार पर ही जातक का नामकरण किया जाता है। जातक को योनि, तारा, गण, नाड़ी युंजा पाया आदि का आधार भी नक्षत्र ही है। सभी प्रकार की महादशाओं का निर्धारण चंद्र नक्षत्र के आधार पर ही किया जाता है। मुहूर्त, शुभाशुभ योग, विवाह एवं संस्कारादि भी नक्षत्रों के आधार पर ही होते हैं परंतु फलकथन में नक्षत्रों का महत्व समाप्त सा हो गया है।

फलकथन में राशियां प्रमुख और नक्षत्र गौण हो गए। आज के वैज्ञानिक युग में भी नक्षत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। मानव का सारा जीवनकाल उसके जन्म-नक्षत्र पर निर्भर करता है।

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आपका जन्म कौन-सा है, उसी जन्म नक्षत्र का प्रभाव आपके संपूर्ण जीवन पर पड़ता है। जन्म नक्षत्र का प्रभाव इस प्रकार माना गया है-
अश्विनी:
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति मेधावी, स्वार्थी, साहसी, चालाक और घमंडी होते हैं। ये स्वतंत्रताप्रिय, ईश्वर-प्रेमी, सुंदर, भाग्यवान, कार्यकुशल, स्थूल शरीर, धनवान और स्त्रियों से अपना काम निकालने में चतुर होते हैं।

भरणी: इस नक्षत्र के जातक निरोग, सत्य-वक्ता, दृढ़-प्रतिज्ञ, सुखी, उत्तम विचारों वाले और धनी होते हैं। इन्हें आकस्मिक दुर्घटना का योग रहता है। ये स्वार्थी तथा अस्थिरबुद्धि, संबंधियों से लाभ पाने वाले, परस्त्री-अनुरोगी तथा दीर्घायु होते हैं।

कृतिका : इस नक्षत्र के जातक चालाक, एकांत-प्रेमी-दीर्घाहारी धन-लोलुप, कृपण, दुखी, आकर्षक-व्यक्ति के धनी, विषय विशेष के ज्ञाता होते हैं। इन्हें झूठी गवाही तथा व्यर्थ की मुकद्दमेबाजी का शौक रहता है।

रोहिणी : इस नक्षत्र के जातक मिष्ठान-प्रेमी और सुंदर-आकर्षक व्यक्तित्व वाले, कुशाग्र बुद्धि एवं तीव्र स्मरणशक्ति के स्वामी, बौद्धिक कार्यों में रुचि रखने वाले होते हैं। काम-वासना इनमें ज्यादा पाई जाती है। ये धनवान, मेधावी, प्रियवक्ता और सामान्य सामाजिक व्यक्ति होते हैं।

मृगशिरा : इस नक्षत्र के जातक बचपन में रोगी, चंचल, चतुर, धैर्यवान, नकली वस्तुओं के निर्माता, स्वार्थी, अहंकारी और ईर्ष्यालु होते हैं। यात्रा-भ्रमण में इनकी विशेष रुचि रहती है। इन्हें संतान और मित्रों से बहुत लाभ होता है।

आद्र्रा : इस नक्षत्र के जातक दीर्घायु, अल्पसंतति, दूसरों के धन पर मौज करने वाले, अहंकारी, पाप बुद्धि, कृतघ्न, निर्धन, प्रदर्शन-प्रिय, नीच विचारों से ग्रस्त और इंजीनियरिंग कार्यों में रुचि रखने वाले होते हैं।

पुनर्वसु : इस नक्षत्र के जातक सुखी, सज्जन, साहसी, लोकप्रिय, पुत्र-मित्रादि से युक्त, काव्यप्रेमी, माता-पिता के भक्त, कुशाग्र-बुद्धि और साहित्यानुरागी होते हैं। काम-वासना से ग्रस्त होने पर भी इनका जीवन आनंदमय तथा धार्मिक रहता है।

पुष्य : इस नक्षत्र में जन्मे जातक शीघ्र-क्रोधी, सुखी, स्वतंत्र, बुद्धिमान, धनवान, चतुर, कुटुम्ब-प्रेमी, कवि, लेखक, वकील, अध्ययन-अध्यापन में रुचि लेने वाले तथा प्रशासनिक कार्यों में दक्ष होते हैं।

आश्लेषा : इस नक्षत्र के जातक क्रूर स्वभाव, सर्वभक्षी, धूर्त, दुष्ट-स्वार्थी तथा कामी होने पर भी औषधि-व्यापार से धन संचय करते हैं।

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मघा : इस नक्षत्र के जातक महत्वाकांक्षी, उद्यमी, समाज के अगुआ, धनवान और साहसी होते हैं। पिता के भक्त, वाहन तथा स्त्रियों पर आसक्त व शारीरिक दृष्टि से कमजोर होने पर भी परिश्रम एवं चतुराई से ये लोग बड़े-बड़े कार्य कर लेते हैं।

पूर्वाफाल्गुनी : इस नक्षत्र के जातक मधुरभाषी, साहसी, चालाक, अपव्ययी, सुंदर व्यक्तित्व के स्वामी, स्त्री के प्रति विशेष झुकाव रखने वाले, वाहन सुख, गाय-भैंस आदि से संपन्न, गंभीर, सुखी तथा  विद्वानों में सम्मानित, भ्रमण, तीर्थाटन और संगीत में विशेष रुचि रखते हैं।

उत्तरा फाल्गुनी : इस नक्षत्र के जातक कामुक, वीर, कोमल, शस्त्र-विद्या में निपुण, लोकप्रिय, सुंदर व्यक्तित्व वाले, मधुरभाषी होते हैं। अपने पुरुषार्थ तथा विद्या के द्वारा धनोपार्जन करने पर भी इनका जीवन गृह-कलह, व्यर्थ की मुकद्दमेबाजी और मानसिक तनाव से पीड़ित रहता है।

हस्त : इस नक्षत्र के जातक अनुशासन प्रेमी, मद्यपी, कामातुर, बंधु-हीन, निरंकुश होते हैं। इनका पारिवारिक जीवन दुखी, पत्नी रुग्णा तथा मन अशांत रहता है। ये शत्रुनाशक तथा नौकरी में उच्च पद पाने में समर्थ रहते हैं।

चित्रा : इस नक्षत्र के जातक संतोषी, धनवान होते हैं। अनेक स्त्रियों से संबंध रखने वाले, आशावादी, औषधि व लेखन से अर्थोपार्जन करने वाले तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। ये अपने मन का भेद किसी को नहीं देते।

स्वाति : इस नक्षत्र के जातक चतुर, धर्मात्मा, कृपण, लोकप्रिय, सुशील, व्यवहार-कुशल, जन्म स्थल से दूर के निवासी, कुशल-व्यवसायी, बौद्धिक कार्यों से लाभ और यश प्राप्त करते हैं। इनकी शिक्षा प्राय: अधूरी रह जाती है।

विशाखा : इस नक्षत्र के जातक कंजूस, धनी, चालाक, लोभी, झगड़ालू व वेश्यागामी, जन्म स्थल से दूर के निवासी, लाटरी, सट्टा, जुआ आदि से लाभ प्राप्त करने वाले, अहंकारी, शत्रुहन्ता, कलहपूर्ण जीवन में भी स्त्री-पक्ष से धन-लाभ पाते हैं।

अनुराधा : इस नक्षत्र के जातक दयालु, मिलनसार, यशस्वी, सुंदर व्यक्त्वि के धनी स्त्री-पक्ष से लाभ पाने वाले, पुरुषार्थी, विदेश-प्रेमी, बंधु-समर्थक, प्रसन्नचित्त, अस्थिर मनोवृति, प्रशंसा-लोभी होते हैं। ये स्वार्थ पूर्ति हेतु छल-प्रवंचना भी कर सकते हैं।

ज्येष्ठा : इस नक्षत्र के जातक मित्रों से संपन्न, कवि, दानी, क्रोधी, कठोर, बुद्धिमान, समाज के अगुवा, गृहस्थी, के सुख से वंचित, संतान की दृष्टि से भाग्यशाली, परंतु पत्नी या पत्नी-पक्ष से पीड़ित तथा व्यवसाय में भी सफल नहीं होते।

मूल : इस नक्षत्र के जातक धनी, चतुर तथा किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित रहते हैं। सरकारी कर्मचारी, फल-विक्रेता, सफल इंजीनियर तथा औषधि विक्रय के द्वारा जीवनयापन करते हैं।

पूर्वाषाढ़ा : इस नक्षत्र के जातक शरणागत हितैषी, भाग्यवान, लोकप्रिय, आस्तिक और कार्य-दक्ष होते हैं। ऐसे लोगों को सुंदर, भाग्यशाली, पति-परायण, गृहस्थी-प्रेमी पत्नी प्राप्त होती है। धन की कमी होने पर भी इनका कोई कार्य रुकता नहीं है।

उत्तराषाढ़ा : इस नक्षत्र के जातक विनम्र, शांत, धार्मिक, अनेक मित्रों से युक्त तथा संतान-प्रेमी, वैचारिक हलचल वाले होते हैं। इन जातकों को अनायास धन-लाभ होता रहता है।

अभिजित: इस नक्षत्र के जातक सुंदर स्वरूप वाले, साधुओं के प्रिय, विनीत, यशस्वी, विप्र और देवता-भक्त स्पष्टवक्ता और अपने कुल में श्रेष्ठ होते हैं।

श्रवण : इस नक्षत्र के जातक सुंदर, प्रसिद्ध, बुद्धिमान, कला तथा विज्ञान में प्रवीण, उन्नतिशील, जन्म-स्थल से दूर रहने वाले, अनुशासन-प्रिय, अभिनय और संगीत के शौकीन, प्रशासनिक तथा प्रबंध कार्यों में विशेष सफल होते हैं।

धनिष्ठा : इस नक्षत्र के जातक धनवान, साहसी, शक्तिशाली परंतु देखने में भोले-भाले, साहित्य-प्रेमी और लेखन-प्रकाशन कार्य में समर्थ होते हैं। इन्हें स्त्री पक्ष से हानि होती रहती है।

शतभिषा : इस नक्षत्र के जातक क्रोधी, झगड़ालू, कृपण, परस्त्रीगामी और विदेशगामी होते हैं। इन जातकों की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं रहती।

पूर्वाभाद्रपद : इस नक्षत्र के जातक मानसिक रूप से सदैव दुखी, चिंतित, स्वभाव से रुखे, शीघ्र-क्रोधी, अल्प सहनशक्ति तथा अधिक संतान वाले और भीरू होते हैं। पत्नी उग्र तथा चंचल होने से स्त्री-पक्ष इन्हें हानिप्रद होता है।

उत्तराभाद्रपद : इस नक्षत्र के जातक धार्मिक, परोपकारी, कर्मनिष्ठ होते हैं। इनका गृहस्थ जीवन सुंदर व मधुर भाषी पत्नी के कारण सुखमय होता है। इन्हें धन का कभी अभाव नहीं रहता। 

रेवती : इस नक्षत्र के जातक स्वस्थ, सुंदर, पवित्र, कार्यों में दक्ष, संतति की ओर से सौभाग्यशाली, योग्य व प्रतिभा-संपन्न होते हैं। ये कुशाग्र-बुद्धि, कवि, लेखक, पत्रकार, प्रतिभाशाली तथा यशस्वी होते हैं।

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