Navratri 6th Day: शीघ्र विवाह करने के लिए आज इस तरह करें मां कात्यायनी की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Apr, 2024 07:17 AM

navratri 6th day

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी को ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी नाम मिला था। इनकी चार भुजाओं में अस्त्र, शस्त्र और कमल है और इनका वाहन

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Navratri 6th Day: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी को ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी नाम मिला था। इनकी चार भुजाओं में अस्त्र, शस्त्र और कमल है और इनका वाहन सिंह है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मां स्वयं अपने भक्त के सभी रोग-दोष दूर कर उसे सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा किए जाने का विधान है। मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी को ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी नाम मिला था. देवी दुर्गा के इस रूप को लेकर कहा जाता है कि जो भी भक्त नवरात्रि के छठे दिन मां की सच्चे मन से विधि-विधान के साथ आराधना करता है, मां स्वयं उस भक्त के सभी रोग-दोष दूर कर उसे सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।

Who is Maa Katyayani कौन है मां कात्यायनी
इनकी चार भुजाओं में अस्त्र, शस्त्र और कमल है, इनका वाहन सिंह है।  ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।  गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी।  विवाह संबंधी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है, योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है। ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाता है।

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मां कात्यायनी का स्वरूप
पौराणिक मान्यता के अनुसार अपने भक्तों के हर दु:ख दूर को पलक झपकते ही दूर करने वाली मां कात्यायनी चार भुजाधारी हैं, जिनका एक हाथ वर मुद्रा में और दूसरा अभय मुद्रा में हैं, जबकि तीसरे हाथ में कमल का फूल और चौथे में तलवार है। मां कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं।

Benefits of worshiping Maa Katyayani मां कात्यायनी की पूजा का लाभ
मान्यता है कि देवी दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और देवी के आशीर्वाद से उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों की प्राप्ति हो जाती है। मां कात्यायनी की पूजा करने पर साधक की शत्रुओं पर विजय होती है।

Maa Katyayani Puja Mantra मां कात्यायनी पूजा मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

Maa Katyayani favorite flower and color मां कात्यायनी का प्रिय फूल और रंग


इस देवी को लाल रंग अतिप्रिय है।  इस वजह से पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल रंग के गुलाब का फूल अर्पित करें। इससे मां कात्यायनी आप पर प्रसन्न होंगी, उनकी कृपा आप पर रहेगी।

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Maa Katyayani priy bhog मां कात्यायनी का प्रिय भोग
मां कात्यायनी को शहद बहुत ही प्रिय है इसलिए आज पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।  ऐसा करने से स्वयं के व्यक्तित्व में निखार आता है।

Do puja like this for early marriage शीघ्र विवाह के लिए ऐसे करें पूजा
जिन लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही है और वह लोग आज के दिन गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी के सामने दीपक जलाएं। इसके बाद मां को पीले रंग के फूल अर्पित करें। फूल के बाद हल्दी की तीन गांठ अर्पित करें। इसके बाद मां के मंत्रों का जप करें और इन तीन गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।

Importance of worshiping Maa Katyayani मां कात्यायनी की पूजा का महत्व

यदि आप कोई जटिल कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं और उसमें सफलता चाहिए तो आपको मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।

मां कात्यायनी की पूजा करने से यश की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को संसार में उसके कर्मों के कारण ख्याति मिलती है।

शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा करते हैं।  यह स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं।

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Maa Katyayani worship method मां कात्यायनी पूजन विधि
मां कात्यायनी का पूजन पीले रंग से करना शुभ होता है। सर्वप्रथम मां कात्यायनी की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन करें।  भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत व मधु से स्नान कराएं। देवी को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएं। प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें। फिर कलश देवता का पूजन करने के बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता की पूजा भी करें। इन सबकी पूजा करने के बाद ही मां कात्यायनी का पूजन शुरू करें। इसके लिए सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें। इसके बाद मां कात्यायनी का पंचोपचार पूजन कर, उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद उनके समक्ष घी अथवा कपूर जलाकर आरती करें और अंत में मां के मन्त्रों का उच्चारण करें।

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य

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