Edited By Jyoti,Updated: 09 Jun, 2021 02:43 PM
गरुड़ पुराण के अनुसार कुल 28 प्रकार के नरक होते हैं। कुछ अन्य शास्त्रों में 36 प्रकार के नरकों का वर्णन मिलता है। विष्णु पुराण में अनेक प्रकार के नरक गुंडों का भी वर्णन किया गया है।
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गरुड़ पुराण के अनुसार कुल 28 प्रकार के नरक होते हैं। कुछ अन्य शास्त्रों में 36 प्रकार के नरकों का वर्णन मिलता है। विष्णु पुराण में अनेक प्रकार के नरक गुंडों का भी वर्णन किया गया है। कहा जाता है मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे वही फल प्राप्त होता है। अपने कर्म के अनुसार ही व्यक्ति को नरक व स्वर्ग में जगह प्राप्त होती है। शास्त्रों में कहा गया है जैसी मति वैसी गति जैसी गति वैसा नरक। हर कोई चाहता है कि उसे मृत्यु के बाद नर्क नहीं स्वर्ग की प्राप्ति हो। तो आइए जानते हैं कि शास्त्रों में नर्क से छुटकारा पाने के लिए किन कार्यों को करना उचित माना गया है।
धार्मिक शास्त्र के अनुसार नर्क से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को वेदों का पालन करना चाहिए। जितना हो सके अपने जीवन में वेद पठन प्रार्थना और ध्यान करना चाहिए। इसके अलावा श्री हरि विष्णु या श्री कृष्ण के मंत्रों का अधिकतर जाप करना चाहिए। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार ओम नमो नारायण मंत्र, गायत्री मंत्र तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप व्यक्ति को हर तरह के नरक से मुक्ति दिलवा सकता है।
जो व्यक्ति अपने जीवन में एक पीपल, एक नीम, दस इमली तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह व्यक्ति नरक के दर्शन नहीं करता।
इसके अलावा अपने जीवन में बरगद,अनार, कड़ी पत्ता, जामफल,तुलसी, नींबू, अशोक, चमेली व चंपा का वृक्ष लगाने वाला व्यक्ति भी हमेशा निरोगी रहता है, उसके जीवन में धन समृद्धि और शांति रहती है तथा मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग में जगह मिलती है।
इसके अलावा नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण, हनुमान जी तथा देवी कालिका की पूजा करने से भी नर्क से छुटकारा मिलता है।
वेदों में बताया गया है कि वाजपे़यी जैसे यज्ञ करने वाले व्यक्ति को भी नरक का सामना नहीं करना पड़ता।
इसके अलावा स्वर्ग की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को अपने जीवन में अधिकतर एकादशी प्रदोष व्रत व शिव चतुर्दशी का व्रत करना चाहिए।