Edited By Jyoti,Updated: 23 Oct, 2021 03:06 PM
राजा भोज के नियमित दान करने से दीवान घबराया, उसने सोचा कि अगर राजा भोज इसी प्रकार दान करते रहे तो एक दिन कोष रिक्त हो जाएगा। राजा जहां भोजन करते थे, वहां दीवार
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
उपरोक्त दिए रहस्य को उजागर करते हुए एक दृष्टांत प्रस्तुत है:-
राजा भोज के नियमित दान करने से दीवान घबराया, उसने सोचा कि अगर राजा भोज इसी प्रकार दान करते रहे तो एक दिन कोष रिक्त हो जाएगा। राजा जहां भोजन करते थे, वहां दीवार पर उसने लिख दिया, ‘‘आपदर्थे धनं रक्षेत’’ अर्थात आपत्ति काल के लिए धन को संभाल कर रखना चाहिए।
राजा भोज भोजन करने आए तो उसे देखकर, समझ गए कि यह कारनामा दीवान का है। उन्होंने नीचे लिखा, ‘‘श्रीमतां कुत आपदा। श्रीमानों को आपत्ति कहां आती है?’’
अगले दिन दीवान ने देखा तो उसके नीचे यह लिख दिया, ‘‘संवितोअपि विनश्यति।’’ संचित की हुई सम्पत्ति भी नष्ट हो जाती है। इससे यह प्रमाणित होता है कि दान से सम्पत्ति कभी नष्ट नहीं होती। उसमें वृद्धि ही होती है।