Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Sep, 2025 02:00 PM

Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में पूर्वजों को याद करने उनका तर्पण करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष महत्व रखता है। यह 16 दिन की वह अवधि होती है जब हम अपने पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और दीपदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष...
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Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में पूर्वजों को याद करने उनका तर्पण करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष महत्व रखता है। यह 16 दिन की वह अवधि होती है जब हम अपने पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और दीपदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में अगर श्रद्धा और विधिपूर्वक दीपक जलाया जाए, तो ना सिर्फ पितर प्रसन्न होते हैं बल्कि उनका आशीर्वाद पूरे परिवार की तरक्की, सुख-शांति और समृद्धि का कारण बनता है। विशेष रूप से, अगर आप इन 4 पवित्र स्थानों पर दीपक जलाते हैं, तो इसका सकारात्मक असर आपके जीवन पर साफ दिखने लगता है।
तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना
तुलसी माता को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और यह पितरों से भी जुड़ी हुई हैं। तुलसी के पौधे के समीप दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। तुलसी के पास सूर्यास्त के बाद तिल के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितृ आत्माएं प्रसन्न होती हैं और परिवार को स्वास्थ्य, संतान सुख व समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। यह दीपक पूर्व दिशा की ओर रखें और संध्या समय नियमित जलाएं।

घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना
घर का मुख्य द्वार ऊर्जा के प्रवेश का मार्ग होता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितृ धरती पर आते हैं और अपने घर-परिवार की स्थिति को देखते हैं। मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाने से पितरों का स्वागत होता है। यह दीपक नकारात्मक शक्तियों को घर में प्रवेश करने से रोकता है। सरसों के तेल का दीपक मुख्य द्वार पर दोनों ओर रखने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना
पीपल का वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास स्थल माना गया है। यह पितरों का भी प्रतीक है। पितृ पक्ष में पीपल के नीचे दीपक जलाना अत्यंत शुभ फलदायक होता है। प्रातःकाल या संध्या समय तिल के तेल का दीपक जलाएं। दीप जलाते समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या ॐ पितृभ्यो नमः मंत्र का जाप करें।

रसोईघर या भोजन स्थल पर दीपक जलाना
पितृ पक्ष में भोजन को विशेष रूप से पवित्र और श्रद्धा से तैयार किया जाता है। यह भोजन पितरों को अर्पित होता है और फिर परिवार को ग्रहण करना चाहिए। रसोई घर में दीपक जलाने से अन्न में शुद्धता और सात्त्विकता आती है। भोजन बनाते समय दीपक जलाना पितरों को सम्मान देने का संकेत है। ऐसा करने से घर में अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती।
