पुत्रदा एकादशी: योग्य संतान की प्राप्ति के लिए करें इस चमत्कारी मंत्र का जाप

Edited By Updated: 11 Aug, 2019 09:47 AM

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आज श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा, जिसे पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है।

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आज श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा, जिसे पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है। यूं तो शास्त्रों में समस्त एकादशी तिथियों को बहुत महत्वपूर्ण बता गया है परंतु पुत्रदा एकादशी को पद्म पुराण में सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति हेतु उत्तम माना जाता है। ज्योतिष के शास्त्र के अनुसार इस एकादशी का व्रत जिन्हें योग्य पुत्र की कामना के लिए किया जाता है।
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मान्यता है कि जन्म और मृत्यु के समय में किए जाने वाले संस्कारों का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। जिन दंपत्तियों को जीवन में पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं होती वो अत्यधिक परेशान रहते हैं। पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए पुत्र एकादशी का व्रत रखा जाता है। जिन दंपत्तियों को कोई पुत्र नहीं होता उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहां जानें पुत्रदा एकादशी व्रत से जुड़े कुछ खास बातें-

कहा जाता मां बाप के लिए संतान का सुख संसार का सबसे बड़ा सुख है, लेकिन कुछ कारणों से कई बार लोग इस सुख से वंचित ही रह जाते हैं। तो बता दें ऐसे लोगों के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत उम्मीद के सूरज के समान माना जाता। कहा जाता है सावन की पुत्रदा एकादशी पर अगर उत्तम नियम से व्रत किया जाए तो इसके प्रभाव से निश्चित ही संतान प्राप्ति होती है।

पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम-
ज्योतिष के अनुसार यह व्रत निर्जला व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत तीनों प्रकार का रखा जाता है।  सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए। अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए। बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन करें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए श्री कृष्ण या नारायण की उपासना करें।
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महाउपाय
प्रातः काल दंपत्ति संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें, उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करे, संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।

मंत्र-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।
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मंत्र जाप के बाद प्रसाद ग्रहण करें।

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