Ram Navami 2021: ये है श्री राम का सबसे सरल मंत्र, बड़े-बड़े पापों से दिलवाता है मुक्ति

Edited By Jyoti,Updated: 20 Apr, 2021 03:45 PM

ram navami 2021

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कन्या पूजन व देवी भगवती की आराधना के साथ-साथ श्री राम की पूजा भी की जाती हैं, इसका कारण लगभग लोग जानते हैं।

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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कन्या पूजन व देवी भगवती की आराधना के साथ-साथ श्री राम की पूजा भी की जाती हैं, इसका कारण लगभग लोग जानते हैं। जी हां, इस दिन श्री राम का जन्म हुआ, जिसके चलते इनकी पूजा आदि तो की ही जाती है, बल्कि बड़े-बड़े आयोजन करवाए जाते हैं। श्री राम, देवी सीता, लक्ष्मण, हनुमान जी की झांकियां भी निकाली जाती हैं। धार्मिक ग्रंथों में इस दिन को बेहद पावन व खास माना गया है। इसलिए इस दिन की जाने वाली पूजा भी काफी लाभकारी साबित होती है। बल्कि कहा जाता है इस दिन व्यक्ति केवल कुछ क्षण ही श्रद्धापूर्वक श्री राम जी की आराधना कर लेता है या केवल उनका ध्यान भी कर लेता है, उस पर श्री राम की कृपा हो जाती है। 

तो आइए आपको बताते हैं कि इस राम नवमी आप कैसे बड़ी आसानी से आप श्री राम की कृपा पा सकते हैं- 

'श्री राम जय राम जय जय राम' - यह सात शब्दों वाला तारक मंत्र है। कई लोगों के मन में इस मंत्र को देखने के बाद यही विचार आता है कि यह मंत्र अधिक साधारण है। परंतु बता दें साधारण दिखने वाले इस मंत्र में जो शक्ति छिपी हुई है, वह अनुभव का विषय है। इसे कोई भी, कहीं भी, कभी भी कर सकता है। फल बराबर मिलता है। यह नाम व मंत्र सबसे सरल, सुरक्षित तथा निश्चित रुप से लक्ष्य की प्राप्ति करवाने वाला माना जाता है। कहा जाता है इस मंत्र जप के लिए आयु, स्थान, परिस्थिति, काल, जात-पात आदि किसी भी बाहरी आडम्बर का बंधन नहीं है। किसी क्षण, किसी भी स्थान पर इसे जप सकते हैं। इस मंत्र को करने के किसी विशेष समय की भी आवश्यकता नहीं होती, जब मन सहज रूप में लगे, तब ही इसका उच्चारण किया जा सकता है। ये तारक मंत्र 'श्री' से प्रारंभ होता है। 'श्री' को सीता अथवा शक्ति का प्रतीक माना जाता है। राम शब्द 'रा' अर्थात् र-कार और 'म' मकार से मिल कर बना है। 'रा' अग्नि स्वरुप है, जो हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है। 'म' जल तत्व का द्योतक है। 

इस प्रकार पूरे तारक मंत्र - 'श्री राम, जय राम, जय जय राम' का सार निकलता है- शक्ति से परमात्मा पर विजय। योग शास्त्र के अनुसार 'रा' वर्ण को सौर ऊर्जा का कारक माना गया है। यह व्यक्ति की रीढ़-रज्जू के दाईं ओर स्थित पिंगला नाड़ी में स्थित होता है, जहां से यह शरीर में पौरुष ऊर्जा का संचार करता है। इसके अलावा 'मा' वर्ण को चन्द्र ऊर्जा कारक अर्थात स्त्री लिंग माना गया है। यह रीढ़-रज्जू के बांई ओर स्थित इड़ा नाड़ी में प्रवाहित होता है। जिस कारण कहा जाता है कि यह श्वास और निश्वास में निरंतर र-कार 'रा' और म-कार 'म' का उच्चारण करते रहने से दोनों नाड़ियों में प्रवाहित ऊर्जा में सामंजस्य बना रहता है। अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब व्यक्ति 'रा' शब्द का उच्चारण करता है तो इसके साथ-साथ उसके आंतरिक पाप बाहर निकल जाते हैं अर्थात इससे व्यक्ति निष्पाप हो जाता है।
 

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