साध्य योग : ये 4 राशि वाले आज ही निपटा लें important काम, वरना...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Feb, 2019 10:34 AM

आज रविवार, 10 फरवरी माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। शाम 7:37 मिनट तक रेवती नक्षत्र और दोपहर 12:16 तक साध्य योग रहेगा। वसंत पंचमी का त्योहार होने से ये दिन मां सरस्वती को समर्पित है। सरस्वती पूजा के साथ-साथ श्री पंचमी और वागीश्वरी जयंती भी मनाई...

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आज रविवार, 10 फरवरी माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। शाम 7:37 मिनट तक रेवती नक्षत्र और दोपहर 12:16 तक साध्य योग रहेगा। वसंत पंचमी का त्योहार होने से ये दिन मां सरस्वती को समर्पित है। सरस्वती पूजा के साथ-साथ श्री पंचमी और वागीश्वरी जयंती भी मनाई जाएगी। बसंत पंचमी के दिनों स्कूलों और शिक्षण संस्थाओं में देवी सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है। संगीत-विद्यालयों में बच्चे अपने वाद्ययंत्रों की पूजा करते हैं और छोटे बच्चे इस दिन से विद्या का आरंभ शुभ मानते हैं। इस दिन के साथ कई मान्यताएं भी जुड़ी हैं। कहा जाता है कि इसी दिन शबरी के आश्रम में भगवान श्रीराम आए थे व उसके जूठे बेर खाए थे। उस क्षेत्र के निवासी आज भी एक शिला की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि इस पर श्रीराम बैठे थे। यहां शबरी माता का मंदिर भी है।

PunjabKesariमुहम्मद गौरी ने सोलह बार पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया लेकिन हर बार परास्त हुआ और हर बार पृथ्वीराज चौहान ने उसे छोड़ दिया। सत्रहवीं बार जब उसने आक्रमण किया तो इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान परास्त हो गए। मुहम्मद गौरी उन्हें बंदी बना कर अफगानिस्तान ले गया और वहां उनकी आंखें फोड़ दीं। पृथ्वीराज को मृत्युदंड देने से पहले गौरी उनके शब्दभेदी बाण की कला का कमाल देखना चाहता था। पृथ्वीराज के दरबारी कवि और मित्र चंदबरदाई जो वहां गुप्त रूप से उपस्थित थे, ने  पृथ्वीराज चौहान के कानों में यह गुप्त संदेश बोला- ‘‘चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रणाम, ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान।’’

PunjabKesariइतना सुनते ही संदेश को दिमाग में बैठाते हुए पृथ्वीराज चौहान ने उसी दिशा में तीर चला दिया जो सीधा मुहम्मद गौरी को जा लगा। तब पृथ्वीराज और चंदबरदाई दोनों ने एक-दूसरे को छुरा घोंप कर जीवन का अंत कर लिया। यह बसंत पंचमी का ही दिन था।

भारत भूमि सदियों तक विदेशी आक्रांताओं से भी त्रस्त रही। अनेकों ऐसी घटनाएं हुईं जो बसंत पंचमी से जुड़ गईं। लाहौर निवासी बालक वीर हकीकत राय ने बसंत पंचमी के दिन हिंदू सनातन धर्म की रक्षार्थ अपने शीश का बलिदान दिया और अमर हो गए। 

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गौरक्षा, स्वदेशी व नारी उद्धार के प्रेरणास्रोत सत्गुरु राम सिंह जी का जन्म भी बसंत पंचमी के दिन हुआ था। सत्गुरु राम सिंह जी ने अपना पूरा जीवन अंग्रेजी शासन के विरुद्ध गौरक्षा तथा नारी रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। इन्होंने नामधारी सम्प्रदाय की स्थापना की तथा समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष किया।

PunjabKesariमहाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी का जन्मदिन भी बसंत पंचमी को ही आता है। इस उपलक्ष्य में कई स्थानों पर कवि सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। बसंत ऋतु का आगमन एक तरह से सर्दी की विदाई का सूचक है। बसंत सभी ऋतुओं का राजा है जिसके आते ही वातावरण खिल उठता है। रंग-बिरंगे फूल अपनी खुशबू बिखेरने लगते हैं जिनका भंवरे रस पीने को आतुर हो उठते हैं। इस ऋतु में सुबह की सैर करने से मन प्रसन्न रहता है व शरीर में स्फूर्ति आ जाती है।

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