…तो इसलिए धारण करना चाहिए जनेऊ !

Edited By Jyoti,Updated: 30 Apr, 2019 10:44 AM

religious and scientific reason behind wearing janeu in hindu religion

हिंदू धर्म के लोगों को अच्छी तरह से पता ही होगा कि इसमें कुल 16 संस्कार है। इन सभी का अपना-अपना अलग महत्व है। शास्त्रों में इन संस्कारों में बारे में अच्छे से वर्णन किया गया है।

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हिंदू धर्म के लोगों को अच्छी तरह से पता ही होगा कि इसमें कुल 16 संस्कार है। इन सभी का अपना-अपना अलग महत्व है। शास्त्रों में इन संस्कारों में बारे में अच्छे से वर्णन किया गया है। ग्रंथों के अनुसार ये सारे संस्कार हिंदू धर्म के हर व्यक्ति के लिए अपनाने आवश्यक है। परंतु आज कल की लगभग पीढ़ी को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। मार्डन ज़माने के कारण लोग इनकी ओर ध्यान देने की कोशिश तक नहीं करते। तो आज आज हम आपको इन्हीं में से एक बहुत महत्वपूर्ण संस्कार के बारे में बताते हैं जो हिंदू धर्म में अधिक महत्व रखता है।

हम बात कर रहे हैं जनेऊ (यज्ञोपवीत) संस्कार की जिसे अधिक पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि इस संस्कार का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। साथ ही जनेऊ भारतीय संस्कृति का मौलिक सूत्र भी है। इसके अलावा ये भी इसका संबंध आध्यात्मिक, भौतिक और दैविक तीनों से है। तो क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धर्म में जनेऊ धारण करने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है? अगर नहीं तो आगे ज़रूर पढ़ें-

शास्त्रों के अनुसार जनेऊ को यज्ञ सूत्र और ब्रह्मा सूत्र कहा गया है। बाएं कंधे पर जनेऊ देव भाव का और दाएं कंधे पर जज्ञोपवीत पितृ भाव को दर्शाता है। कहते हैं कि मानव द्वारा देवत्व को प्राप्त करने का सशक्त साधन जनेऊ है। अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो यज्ञोपवीत का मनुष्य के स्वस्थ्य से गहरा संबंध है। हृदय, आंतों और फेफड़ों की क्रियाओं पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। एक अन्य वैज्ञानिक के अनुसार ऐसा करने से आंतों की अपकर्षण गति बढ़ती है। जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है। साथ ही मूत्राशय की मांसपेशियों का संकोच वेग के साथ होता है।

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कान पर लपेटी गई जनेऊ मल-मूत्र त्याग के बाद अशुद्ध हाथों को तुरंत साफ़ करने के लिए प्रेरित करती है। वहीं शास्त्रों में बताया गया जनेऊ में तीन-तीन धागे का सूत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। इससे जुड़ी एख मान्यता के अनुसार अविवाहित पुरुष तीन धागे वाला जनेऊ धारण करना चाहिए जबकि विवाहित पुरुष छह धागों वाला यज्ञोपवीत पहनना चाहिए।

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