Edited By Jyoti,Updated: 18 Jul, 2018 02:47 PM
हिंदूओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है बाबा अमरनाथ की गुफा। 1930 में बालटाल-अमरनाथ और पहलगाम-गुफा तक पत्थरों को हटाकर इसका रास्ता बनाया गया था।
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हिंदूओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है बाबा अमरनाथ की गुफा। 1930 में बालटाल-अमरनाथ और पहलगाम-गुफा तक पत्थरों को हटाकर इसका रास्ता बनाया गया था। उस समय जम्मू शहर भीड़भाड़ वाला इलाका नहीं था। जगह खाली होने के कारण श्रद्धालु खुली जगहों पर तंबुओं में रह लेते थे। हमेशा समूह में रह कर ही यात्रा की जाती थी।
1930 में भी यहां आने वाले यात्रियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता था। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए जाते थे। श्रद्धालु बालटाल और पहलगाम के रास्ते से शिवलिंग के दर्शन करने जाते थे। तब से लेकर अब तक की यात्रा में काफी बदलाव आ चुका है। आज के समय में लोग शिविर से पहलगाम तक बस या अन्य वाहनों की सहायता से पहुंचते हैं। इसके बाद पैदल ही अमरनाथ गुफा तक की यात्रा करते हैं। आजकल तो लोग हेलीकाप्टर की सुविधा का लाभ भी लेते हैं।
उस टाइम में लंगर की व्यवस्था बहुत कम होती थी। पहले के समय में लोग घोड़ों पर बैठकर यात्रा करते थे लेकिन ये परंपरा अब भी जारी है। जो लोग घोड़ों पर नहीं जा सकते वह डंडों के सहारे आगे बढ़ते है। वे अपना सामान आगे और पीछे कपड़ों में बांधकर चलते है। उस समय अमरनाथ गुफा दर्शनों के लिए हमेशा खुली रहती थी। पत्थरों को हटाकर भक्तों के लिए रास्ता बनाया गया था। जिस पर आज भी लोग यात्रा कर रहें हैं।
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