Kundli Tv- मुंबई के इस मंदिर की खासियत क्या जानते हैं आप ?

Edited By Updated: 07 Dec, 2018 12:38 PM

religious place of mumba mata mandir

वैसे अगर बात की जाए मुंबई के प्रसिद्ध मंदिरों की तो इस सूची में सबसे पहला गणपति के सिद्धिविनायक मंदिर का नाम आता है। इसके अलावा वहां स्थापित महालक्ष्मी मंदिर को काफी प्रसिद्धि हासिल है।

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वैसे अगर बात की जाए मुंबई के प्रसिद्ध मंदिरों की तो इस सूची में सबसे पहला गणपति के सिद्धिविनायक मंदिर का नाम आता है। इसके अलावा वहां स्थापित महालक्ष्मी मंदिर को काफी प्रसिद्धि हासिल है। इन दोनों के साथ-साथ मुंबई के और भी बहुत धार्मिक स्थल हैं जो देश में अधिक प्रसिद्ध हैं। परंतु आज हम इन मंदिरों की नहीं बल्कि एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वालें हैं, जहां जाना तो दूर बहुत से लोग इस मंदिर के बारे में जानते तक नहीं होंगे।
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हम बात कर रहे हैं कि मुंबई के मुंबा देवी मंदिर का। आपको बता दें कि इस मंदिर को प्रमुख स्थानों में से एक माना जाता है। यहां के लोगों द्वारा बताने पर पता चला कि मुंबा देवी के इस मंदिर की महिमा अपरंपार है। कहा जाता है कि मुंबई नाम मराठी के शब्दक- 'मुंबा' 'आई' यानि मुंबा माता के नाम से निकला है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में-

मुंबा माता का ये मंदिर चौपाटी के रेतीले किनारों के निकट बाबुलनाथ स्थान पर स्थित है। माना जाता है कि इसका इतिहास करीबन 400 वर्ष पुराना है। केवल पूरे मुंबई ही नहीं बल्कि मुंबा देवी मंदिर की मान्यता पूरे महाराष्ट्र में देखने को मिलती है।
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अगर पता हो तो मुंबई आरंभ में मछुआरों की बस्ती थी। यहां इन्हें कोली कहा जाता था। ऐसा मानना है कि कोली लोगों ने ही बोरीबंदर में मुंबा देवी के मंदिर की स्थापना की थी। इन लोगों का कहना है कि मुंबा देवी की कृपा से ही उनको यानि मछुआरों को कभी समुद्र ने नुकसान नहीं पहुंचाया। मुंबा देवी के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां दूसरे समाज के लोग भी उतनी ही श्रद्धा से आते हैं, जितने कि कोली और उत्तरभारती के लोग। इसलिए इस मंदिर को लोग देश के एकता का प्रतीक भी कहते हैं।
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प्राचीन समय में मंदिर अपने मूल रूप में उस जगह स्थापित किया गया था जहां आज के समय में विक्टोरिया टर्मिनस बिल्डिंग है। कहते हैं इसका निर्माण साल 1737 में हुआ था। इसके बाद अंग्रेजों के शासन के दौरान मंदिर को मैरीन लाइन्स-पूर्व क्षेत्र में बाज़ार के बीच में स्थापित करवा दिया गया। जिसके तीनों ओर एक बड़ा तालाब था, जो अब बराबर कर दिया गया है। मंदिर की भूमि के बारे में कहा जाता है मंदिर के लिए भूमि पांडु सेठ ने दान की थी इसलिए शुरू-शुरू में मंदिर की देख-रेख उनके परिवार द्वारा ही की जाती थी। परंतु कुछ सालों के बाद मंदिर की देखरेख के लिए मुंबई हाईकोर्ट के आदेश पर मंदिर न्यास की स्थापना की गई। तब से लेकर आज तक मंदिर न्यास ही परिसर की निगहबानी करता है।

ममुंबा देवी का ये मंदिर देखने में बहुत आकर्षक है, इसके साथ ही यहां स्थापित देवी नारंगी चेहरे वाली रजत मुकुट से सुशोभित स्थापित प्रतिमा काफी भव्य है। देवी मुंबा के साथ-साथ यहां अन्नपूर्णा और जगदंबा माता की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।
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यहां पूरी होती है हर मन्न्त
अगर आम मंदिरों की बात करें तो हर मंदिर में दिन में तीन बार आरती होती है। लेकिन मुंबा देवी के इस मंदिर में दिन में 3 नहीं बल्कि 6 बार आरती की जाती है। क्योंकि ज्योतिष के अनुसार मंगलवार और शुक्रवार को माता का दिन माना जाता है इसलिए इन दिनों में देवी के भक्तों की भीड़ रोज़ से ज्यादा होती है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां मांगी गई हर मन्नकत पूरी होती है। इस मंदिर में एक अजीब परंपरा है। हर मंदिर की तरह यहां माता को चुनरी और मौली चढ़ाकर मन्नतें नहीं मांगी जाती। बल्कि मुंबा देवी मंदिर में मन्नत मांगने के लिए यहां की लकड़ी के ऊपर सिक्कों को कीलों से ठोका जाता है। लोगों का कहना है कि ऐसा करने से देवी बहुत जल्द मुरादें पूरी करते हैं।
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