Edited By Sarita Thapa,Updated: 15 Dec, 2025 12:02 PM

सेंट फ्रांसिस का एंजिलो नाम का एक समर्थक था। उन्होंने उसे एक चर्च का संरक्षक बनाया था। एक बार चर्च में तीन डाकू आए। उन्होंने एंजिलो से कहा कि वे भूखे हैं और खाना मांगा।
Inspirational Context : सेंट फ्रांसिस का एंजिलो नाम का एक समर्थक था। उन्होंने उसे एक चर्च का संरक्षक बनाया था। एक बार चर्च में तीन डाकू आए। उन्होंने एंजिलो से कहा कि वे भूखे हैं और खाना मांगा। एंजिलो ने उन्हें फटकारते हुए कहा, ‘‘तुम लोग लूटपाट करते हो, उसकी तुम्हें जरा भी शर्म नहीं और आज तुम यहां प्रभु के सेवकों को दिए जाने वाले भोजन की मांग कर रहे हो? यहां का प्रसाद वही पा सकता है, जिसकी प्रभु पर श्रद्धा हो।’’
एंजिलो बोले, ‘‘तुम लोगों को ईश्वर या उसके बच्चों के प्रति जरा भी प्रेम नहीं है, इसलिए तुम्हें यहां का प्रसाद नहीं दिया जा सकता।’’
यह सुन डाकू बेहद क्रुद्ध हुए, पर उसे पवित्र स्थान जान चुपचाप वहां से चले गए। थोड़ी देर बाद संत फ्रांसिस आए। एंजिलो ने उन्हें सारी बात बताई, तो उन्हें बड़ा दुख हुआ। वे बोले, ‘‘तुमने यह अच्छा व्यवहार नहीं किया। पापियों से घृणा करके उन्हें सही रास्ते पर नहीं लाया जा सकता। उनके साथ हमें नम्रता से पेश आना चाहिए। हर व्यक्ति में सुधार की संभावना होती है। क्या तुम नहीं जानते कि डाक्टर की जरूरत तंदुरुस्तों को नहीं, बल्कि बीमारों को होती है? ये डाकू बीमार ही तो थे। जाओ, उन्हें खोजो और रोटियां दे आओ।’’

डाकू अधिक दूर नहीं गए थे। जब एंजिलो को वे मिले तो उसने उनसे अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगी और उन्हें रोटियां दीं। यह देख डाकू सोचने लगे कि वे रोज इतना पाप करते हैं किंतु इसके लिए उन्हें कोई खेद नहीं है और यह पुण्य आत्मा है जिसे थोड़ी देर पहले कहे शब्दों का पश्चाताप हो रहा है। यही नहीं, यह तो हमारे लिए रोटी भी लाया है। वे तुरन्त चर्च गए और उन्होंने संत फ्रांसिस से पापों के लिए क्षमा मांगी और उनके शिष्य बन गए।

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