Edited By Jyoti,Updated: 02 Aug, 2018 08:10 AM
श्रावण माह शुरू होते ही हर तरफ भक्त भोलेनाथ की पूजा में लीन दिखाई देते हैं। इन दिनों भगवान शिव को खुश करने के लिए उनके भक्त अलग-अलग तरीकों से उनकी पूजा करते हैं। इनकी पूजा में बिल्व पत्र सबसे ज्यादा महत्व रखता है।
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श्रावण माह शुरू होते ही हर तरफ भक्त भोलेनाथ की पूजा में लीन दिखाई देते हैं। इन दिनों भगवान शिव को खुश करने के लिए उनके भक्त अलग-अलग तरीकों से उनकी पूजा करते हैं। इनकी पूजा में बिल्व पत्र सबसे ज्यादा महत्व रखता है। क्योंकि मान्यता है कि भगवान शंकर को बिल्व पत्र अधिक प्रिय है। तो आईए जानते हैं बिल्व पत्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि भगवान शिव को बिल्व पत्र बहुत प्रिय हैं। उनके हर पूजन में इसे शामिल करना ज़रूरी माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं। लेकिन भगवान को बिल्व पत्र चढ़ाते समय हमेशाा इस बात का ध्यान रखें कि अगर जल धारा के साथ बिल्व पत्र अर्पित किया जाए तो इसका प्रभाव कर्इ गुना बढ़ जाता है।
बिल्व पत्र के बारे में कहा जाता है कि इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव जी का मस्तक शीतल रहता है। यदि बिल्व पत्र में तीन पत्तियां हों तो वो सर्वोत्तम माना जाता है। इसके अलावा भगवान पर इन्हें अर्पित करते समय ध्यान रखें कि यह खराब नही होनी चाहिए।
सोमवार, अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। सावन के महीने में इससे पूजा करने के लिए इन्हें पहले ही तोड़कर अपने पास रख लें। लेकिन अगर आप बेलपत्र खरीद रहे हैं तो उसे कभी भी शिव जी पर चढ़ाया जा सकता है। इतना ही नहीं एक बेलपत्र को कई बार धोकर भी चढ़ा सकते हैं।
कहते हैं जिन घरों में बेलवृक्ष लगा होता हैं वहां शिव की कृपा निरंतर बरसती रहती है। बेलवृक्ष को घर के उत्तर-पश्चिम में लगाने से यश कीर्ति की प्राप्ति होती है। वहीं उत्तर-दक्षिण में लगे होने पर भी सुख-शांति और मध्य में लगे होने से घर में धन और खुशियां आती हैं।
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