Edited By Jyoti,Updated: 05 Jul, 2019 04:33 PM
इस महीने की 17 जुलाई से शिव जी व शिव भक्तों का सबसे प्रिय महीने शुरू होने जा रहा है।
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इस महीने की 17 जुलाई से शिव जी व शिव भक्तों का सबसे प्रिय महीने शुरू होने जा रहा है। कहते हैं जो जातक इस महीने में शिव जी को प्रसन्न करने में सफल हो जाता है भोलेनाथ खुद उसका हाथ पकड़कर हर संकट से आसानी से निकाल देते हैं और उसके जीवन में खुशियां ही खुशियां ही भर देते हैं। अब भोले बाबा के भक्तों को ये तो बताने की ज़रूरत नहीं होगी शिव शंकर कितने भोले हैं और किस तरह अपने भक्तों के थोड़े से ही प्रयास से उन पर अपनी अपार कृपा बरसा देते हैं।
मगर हम में से बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें बड़े तो क्या शिव जी को खुश करने के छोटे-छोटे से उपाय भी नहीं पता होते। ठहिरए-ठहरिए क्या आप भी इसी सूची में आते हैं? क्या आप भी इस बात से अंजान है कि आख़िर ऐसा क्या किया जाए जिससे देवों के देव महादेव झट से प्रसन्न होकर आपकी झोली खुशियां से भर दें। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि सावन के महीने में ऐसा क्या करने से आपको आपकी इच्छा अनुसार वरदान प्राप्त हों। साथ ही जानेंगे कौन सावन में क्या करने से लड़कियों की शादी के योग बनने लगते हैं।
जेसे कि सभी जानते हैं हिंदू धर्म में पड़ने वाले कुछ महीनों का अधिक महत्व होता है। जिनमें से एक है सावन का महीना। जिसे शास्त्रों आदि में बहुत ही पावन माना जाता है। कुछ ज्योतिषाचार्यों का कहना है इस साल सावन का महीना अपने साथ बहुत बड़ा महासंयोग लेकर आया। जिस दौरान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्रों का जप करना लाभदायक साबित होगा।
आइए जानें सावन मास में उच्चारित किए जाने वाल 15 खास मंत्रों के बारे में जिनका जाप जीवन में हर तरह की शुभता, अनुकूलता,प्रगति, सुख-शांति, धन, समृद्धि, सफलता, संतान, प्रमोशन, नौकरी, विवाह प्रेम और रोग मुक्ति आदि जैसी मनोकामनाएं पूरी करता है।
ॐ शिवाय नम:
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ इन्द्रमुखाय नम:
ॐ श्रीकंठाय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ तत्पुरुषाय नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ अनंतधर्माय नम:
ॐ ज्ञानभूताय नम:
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम
ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:
ज्योतिष के अनुसार आगे दिए शिव गायत्री मंत्र के साथ उपरोक्त मंत्रों का जप अत्यंत शुभ फलदायक माना जाता है।
शिव गायत्री मंत्र-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।