Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 May, 2019 03:02 PM
ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा के स्वामी शनि देव हैं इसलिए शनि मंदिरों में यहां तक की शनिधाम शिंगनापुर में भी शनि देव की मूर्ति पश्चिममुखी स्थापित की गई है। धार्मिक मान्यता है कि
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ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा के स्वामी शनि देव हैं इसलिए शनि मंदिरों में यहां तक की शनिधाम शिंगनापुर में भी शनि देव की मूर्ति पश्चिममुखी स्थापित की गई है। धार्मिक मान्यता है कि शनि देव के दर्शन सामने से नहीं करने चाहिए। अतः इस मंदिर में भी दर्शनों के लिए दर्शनार्थी दक्षिण दिशा से क्लाक वाईज चलते हुए पश्चिम दिशा में आकर शनि देव के दर्शन करके पुनः बाहर पश्चिम दिशा में आते हैं और फिर उत्तर तथा पूर्व दिशा से होते हुए पुनः दक्षिण दिशा में ही आकर बाहर निकल जाते हैं। शनि देव के दर्शन की इस प्रक्रिया को कुछ लोग अंधविश्वास कह सकते है किंतु शनि देव के दर्शन के लिए सदियों से अपनाई जा रही यह प्रक्रिया वास्तु के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत का पालन करने के लिए है।
शनि देव को काले रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं उनकी मूर्ति पर काला रंग किया जाता है। ऐसी स्थिति में यदि मुख्यद्वार के सामने मूर्ति स्थापित की जाए तो वास्तु एवं फेंगशुई के उपरोक्त सिद्धांतों की अवहेलना होने से मंदिर की प्रसिद्धि को हानि पहुंचती है। शायद इसलिए ही सदियों पूर्व विद्वान ऋषियों-मुनियों द्वारा शनि देव की मूर्ति को मंदिर के मुख्यद्वार के ठीक सामने स्थापित न करवाते हुए दाएं ओर स्थापित करवाने की पंरपरा डलवाई होगी। श्री शनिधाम में भी इसी वास्तुनुकुल परंपरा का पालन किया गया है।
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शनिदेव को उनकी पत्नी ने श्राप दिया था कि वो जिस किसी को भी सीधी नजरों से देखेंगे, उसका अनिष्ट हो जाएगा इसलिए वास्तु विद्वान कहते हैं की घर पर शनिदेव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। शनि देव का दर्शन करने के लिए शनि मंदिर में ही जाना चाहिए, कभी भी घर में शनि देव का चित्र या मूर्ति स्थापित नहीं करनी चाहिए। घर में शनि देव की पूजा-पाठ अथवा मंत्र जाप किया जा सकता है।
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शनिवार को हनुमान जी की भी उपासना किए जाने का विधान है। यदि आप अपने घर में हनुमान जी का चित्र या प्रतिमा स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं तो शनिदेव बहुत प्रसन्न होते हैं।