जानिए, शनि ग्रह से जुड़ी कुछ अलग जानकारी

Edited By Lata,Updated: 16 Jan, 2020 10:46 AM

shani grah

ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रह शामिल होते हैं और उन्हीं में से एक शनि ग्रह को महत्वपूर्ण माना जाता है।

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ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रह शामिल होते हैं और उन्हीं में से एक शनि ग्रह को महत्वपूर्ण माना जाता है। शनि का नाम सुनते ही, हर किसी के मन में एक डर पैदा हो जाता है, क्योंकि शनि को क्रुर ग्रह माना जाता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। दरअसल ज्योतिष में शनि एक क्रूर या पापी ग्रह अवश्य है किंतु वह हमारे कर्मों के अनुसार ही हमें फल देता है। यदि कोई व्यक्ति अच्छा कर्म करता है तो शनि के अच्छे फल उस व्यक्ति को प्राप्त होते हैं, जबकि बुरे कार्य करने वाले को शनि दंडित करते हैं, इसलिए तो इसे कर्मफलदाता कहा जाता है। 
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ज्योतिष में शनि ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में शनि नौ ग्रहों में से सातवां ग्रह है। शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। शनि की चाल सबसे धीमी है। अत: शनि के गोचर की अवधि ढाई बरस की होती है यानि यह एक राशि से दूसरी राशि में जाने का समय ढाई वर्ष का होता है। यह सभी राशियों को अपनी ढैय्या और साढ़ेसाती, गोचर, मार्गी एवं वक्री चाल से प्रभावित करता है। चलिए आगे जानते हैं इस ग्रह से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में-
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शनि ग्रह राशिचक्र की दो राशियों का मालिक है, मकर और कुंभ। इन दोनों राशियों के जातक शनि से अधिक प्रभावित होते हैं।

शनि ग्रह की उच्च राशि तुला है, जबकि मेष राशि में यह नीच भाव में होता है।
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सूर्य पुत्र शनि के मित्र ग्रहों में बुध और शुक्र आते हैं, जबकि सूर्य, चंद्रमा और मंगल, इसके शत्रुओं की श्रेणी में आते हैं। जबकि गुरु को इसके समभाव का माना जाता है।
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शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है। इसके साथ ही सातमुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह की शांति के लिए धारण किया जाता है। इसकी शांति के लिए नीलम रत्न धारण किया जाता है। 


 

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