Edited By Jyoti,Updated: 08 Sep, 2019 11:11 AM
प्रसिद्ध संत बहिणाबाई अपनी कुटिया के पास पौधों की सिंचाई कर रही थीं, तभी उनके पास 4 विद्वान आए। विद्वानों ने कहा, ''''हम लोग एक जिज्ञासा लेकर आपके पास आए हैं।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
प्रसिद्ध संत बहिणाबाई अपनी कुटिया के पास पौधों की सिंचाई कर रही थीं, तभी उनके पास 4 विद्वान आए। विद्वानों ने कहा, ''हम लोग एक जिज्ञासा लेकर आपके पास आए हैं।
“बहिणाबाई ने पूछा, ''कैसी जिज्ञासा?” विद्वानों ने कहा, ''हमने वेदों का अध्ययन किया है। विभिन्न शास्त्रों से भी ज्ञान अर्जित किया है। हम देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर काम करना चाहते हैं ताकि राष्ट्र के चारों कोनों में सद्गुणों के प्रचार की आधारशिला पड़े, पर हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए हम क्या करें?”
बहिणाबाई ने चारों विद्वानों से उनके लक्ष्यों के बारे में बारी-बारी से जानना चाहा। पहले विद्वान ने कहा, ''मैं देश में सबको शिक्षित और सभ्य देखना चाहता हूं।
“दूसरे ने कहा, ''मैं सबको सुखी और सम्पन्न बनाना चाहता हूं। “तीसरा सबको एकता के सूत्र में बांधना चाहता था। चौथा बोला, ''मेरी इच्छा है कि मेरा देश एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विकसित हो।“
चारों विद्वानों की राय सुनने के बाद बहिणाबाई ने कहा, ''अपना लक्ष्य पाने के लिए आप सब मिलकर शिक्षा के प्रसार का कार्य आरम्भ करें।
“यह सुनकर विद्वान आश्चर्य में पड़ गए। फिर उन्होंने संकोच के साथ कहा, ''केवल शिक्षा का प्रसार करके सभी लक्ष्य कैसे हासिल किए जा सकते हैं?”
इस पर बहिणाबाई ने कहा, ''हे विद्वानो, शिक्षा वह माध्यम है जिस पर हर व्यक्ति का लक्ष्य और उसका विवेक टिका है। जब लोग शिक्षित होते हैं तो उनमें उद्यमिता विकसित होती है। उद्यम करने से व्यक्ति की आमदनी बढ़ेगी जिससे राष्ट्र आर्थिक रूप से मजबूत होगा। लोगों में एकता भी स्थापित होगी और राष्ट्र शक्तिशाली होगा। अलग-अलग गुण वाले पौधों की एक ही तरह से सिंचाई की जाती है लेकिन उनमें विभिन्न रंग-रूप वाले फूल पैदा होते हैं। उसी तरह शिक्षित होकर लोगों में सभी गुण अपने आप ही आ जाएंगे।“