Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Apr, 2024 07:43 AM
जालंधर (धवन): पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 1 जून को होना है परन्तु राज्य में राजनीतिक माहौल धीरे-धीरे गर्माता जा रहा है। अभी आम आदमी पार्टी ने ही
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जालंधर (धवन): पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 1 जून को होना है परन्तु राज्य में राजनीतिक माहौल धीरे-धीरे गर्माता जा रहा है। अभी आम आदमी पार्टी ने ही सबसे ज्यादा उम्मीदवारों का ऐलान किया है परन्तु भाजपा भी पीछे नहीं है। अकाली दल तथा कांग्रेस ने अभी तक अपने एक भी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।
पंजाब में लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए इस बार हिंदू वोट बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। इस बात का एहसास राजनीतिक नेताओं तथा उम्मीदवारों को भी है। इसीलिए चुनावी मैदान में उतरे नेतागण इस बार श्री अयोध्या धाम के दर्शनों के लिए अवश्य जा रहे हैं। उन्हें मालूम है कि श्री अयोध्या धाम में श्री रामलला के दर्शन करने से हिंदू मतदाताओं के अंदर एक अच्छा प्रभाव जाएगा।
श्री अयोध्या धाम में श्री रामलला के मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सबसे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री व ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल तथा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान कुछ माह पूर्व श्री अयोध्या धाम के दर्शनों के लिए अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ गए थे। लोकसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद सांसद सुशील रिंकू भी अपनी पत्नी के साथ श्री अयोध्या धाम के दर्शन करके आए थे। उसके बाद परनीत कौर भी गत दिवस श्री अयोध्या धाम के दर्शन करके लौटी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी अयोध्या धाम के दर्शन करके आए हैं। इसी तरह से श्री अयोध्या धाम जाने वाले पंजाब के नेताओं की सूची काफी लम्बी है।
पंजाब में शहरी क्षेत्रों, बड़े कस्बों तथा छोटे कस्बों में इस बार हिंदू वोट बैंक की निर्णायक भूमिका रहने वाली है। हिंदू वोट बैंक जिस भी पार्टी की तरफ जाएगा उसके उम्मीदवारों को लाभ मिलना भी यकीनी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में हिंदू वोट बैंक को लुभाने के लिए लगातार प्रयास राजनीतिक नेताओं द्वारा किए जाएंगे। राजनीतिक नेताओं का मानना है कि ग्रामीण वोट बैंक इस बार 4 पार्टियों में विभाजित होने वाला है। ऐसी स्थिति में शहरी वोट बैंक की निर्णायक भूमिका रह सकती है। आम तौर पर शहरी मतदाता अपने मन की बात किसी को बताते नहीं हैं। शहरी मतदाता अंत में ही अपने पत्ते खोलते हैं इसलिए राजनीतिक दलों तथा उनके उम्मीदवारों को शहरी मतदाताओं को लुभाने के लिए काफी पसीना बहाना पड़ता है।