Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Jul, 2023 09:11 AM
नारी बचपन से ही पूज्नीय है- बाल अवस्था में कन्या के रूप में पूजी जाती है, शादी के बाद मां बनने पर पूजा की जाती है। नारी ही संसार की रचयिता है
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
नारी बचपन से ही पूज्नीय है- बाल अवस्था में कन्या के रूप में पूजी जाती है, शादी के बाद मां बनने पर पूजा की जाती है। नारी ही संसार की रचयिता है जिन घरों में नारी का सम्मान नहीं होता वे परिवार दुखी ही रहते हैं। नारी का सम्मान करो तो आपके घर में लक्ष्मी का वास होगा। -स्वामी वरुणदास
मां-दादी-नानी बचपन में गोदी में लेकर लाड़ लड़ातीं, प्यार-दुलार करती थीं। जो सुख उनकी गोद में मिलता था, वह आनंद दुनिया में और कहीं नहीं है। उनकी लोरियां सुनना वह सुख कहीं भी ढूंढने से नहीं मिलेगा। —दर्शना भल्ला
आप अपनी योग्यता दिखाएं, सम्मान और दर्जा अपने आप मिल जाएगा। मैं महिलाओं को अपना आदर्श मानती हूं। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। अपने अंदर कुछ बनने का जज्बा और जुनून पैदा करो। —साइना नेहवाल
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
महापुरुषों के प्रति जब तक श्रद्धा-विश्वास का उदय नहीं होता तब तक भगवतत्व प्राप्ति की कामना और आशा कभी पूरी नहीं हो सकती। —हनुमान प्रसाद पोछार
जो बीत गया उसकी चिंता व्यर्थ है। इसी प्रकार भविष्य के लिए चिंता करने में कोई लाभ नहीं। वर्तमान तुम्हारे हाथ में है उसे सुधारो। जिसका वर्तमान सुधर गया उसका भविष्य आप ही सुधर जाएगा। —जैन मुनि
क्रोध में जब जुबान खुलती है तब विवेक की आंखें बंद हो जाती हैं जिनके लिए आजीवन पश्चाताप करना पड़ता है। —आचार्य सुधांशु जी
सच्चा पश्चाताप वही है जो वैसा कर्म फिर न होने दे। वह पश्चाताप व्यर्थ है जिससे कुकर्म का प्रवाह रुके नहीं। —चाणक्य
किसी को नीचा दिखा कर या किसी की निंदा करके अपना गौरव बढ़ाने का प्रयास करना बड़ी मूर्खता और नीचता है। —गेटे