Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jul, 2023 09:48 AM
महापुरुषों ने कहा है कि स्वर्ग और नरक अपने घर में ही हैं। घर में प्रसन्नता है, सद्भाव है, सामंजस्य है, आपसी विश्वास है, स्नेह व प्रेम है तो स्वर्ग है।
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Smile please: महापुरुषों ने कहा है कि स्वर्ग और नरक अपने घर में ही हैं। घर में प्रसन्नता है, सद्भाव है, सामंजस्य है, आपसी विश्वास है, स्नेह व प्रेम है तो स्वर्ग है। ताने बाजी है, अविश्वास है, बात-बात में व्यंग्य बाण हैं, स्नेह व प्रेम का अभाव है तो पन्नता होते हुए भी नरक है। यह जानते हम सभी हैं, पर न जाने क्यों घर को स्वर्ग नहीं बना पाते। भव्य भवन बना लेना तो घर नहीं है, उसमें क्या घट रहा है, कैसी आत्माएं जी रही हैं, वह आवश्यक तत्व है जिससे भवन घर कहला सके और फल यह निकल रहा है कि सभी तनावों में जी रहे हैं। भरपेट खा रहे हैं, पर पाचन क्रिया बिगड़ी हुई है। शानदार कपड़े पहन रखे हैं पर चेहरे पर मुस्कान नहीं है। यह क्यों हो रहा है?
चिंता और तनाव एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ऐसी परिस्थिति में उकताया हुआ आदमी पहाड़ों की ओर भागता है, शांति के लिए, बदलाव के लिए, तनावों से मुक्ति के लिए। पर पहाड़ पर दो-चार दिन रहता है और घर की याद आने लगती है। पहाड़ भी अब बेचैनी पैदा करने लगते हैं। तनाव वास्तव में भीतर है बाहर नहीं। न घर बेचैनी का कारण है और न पहाड़। ये सब हमारे मन के कारण हैं। हमने परिवार में चिंताओं और तनाव खड़े कर लिए हैं। ऐसे में हंसी और मुस्कान ही हमारे परिवार को स्वर्ग, हमारे समाज को खुशनुमा बना सकती हैं। जो दिल से हंसता है, वह आदमी कभी बुरा नहीं होता। हंसते हुए के सभी साथी बनना चाहते हैं, रोते हुए से सभी दूर भागते हैं।
श्रीमती एलिजाबेथ क्राफोर्ड ने ठीक ही लिखा है कि सौ वर्ष जीने के लिए चारों ओर से जवान और हंसमुख व्यक्तियों से घिरे रहें।
बीवर ने लिखा है जो व्यक्ति हंस नहीं सकता वह प्रसन्न और सुखी नहीं रह सकता। तो मेरे मन में एक ही प्रश्न उठता है कि हम अपने परिवार में दिन में एक बार खुलकर हंस लें, सबके साथ मुस्करा लें तो फिर स्वर्ग दूर कहां है?
पर हम गंभीर और तनावग्रस्त कटे-कटे से रहेंगे तो आनंद कैसे मिलेगा? एक स्थान पर मैंने एक प्रसिद्ध डॉक्टर की पंक्तियां पढ़ीं थीं,
‘‘किसी शहर में दवाइयों से लदे बीस गधे ले जाने से एक हंसोड़ आदमी का ले जाना अधिक लाभकारी है।’’
परिवार से पन्न है, अच्छा रहन-सहन है, सारी सुख-सुविधाएं हैं पर वहां मुस्कान न हो, हंसी न हो, ठहाके न हों तो फिर बीमारियां घेरेंगी ही, तनाव जन्मेंगे ही, उदासी आएगी ही। समाज पर भी आपके परिवार के हालातों का असर पड़ेगा। आइए हंसिए ओर अपने परिवार को चहकता बनाइए।