अपने आप में बेहद निराला है त्रिनेत्र गणेश मंदिर, आइए करें इसके दर्शन

Edited By Jyoti,Updated: 21 Jun, 2022 03:34 PM

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हिंदू धर्म में प्रथमीय पूज्य देवता भगवान श्री गणेश को कहा गया है। जिस कारण हिंदू धर्म में किए जाने वाले हर शुभ व मांगलिक कार्य की शुरुआत इन्हीं की

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हिंदू धर्म में प्रथमीय पूज्य देवता भगवान श्री गणेश को कहा गया है। जिस कारण हिंदू धर्म में किए जाने वाले हर शुभ व मांगलिक कार्य की शुरुआत इन्हीं की पूजा से होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हें तमाम देवी-देवताओं में से सबसे पहले पूजा जाता है, तो वहीं देश में इनसे जुड़े कई प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिर भी स्थापित हैं जो अपने आप में भिन्न तो है हीं बल्कि रहस्यमयी भी है। आज हम आपको इनसे जुड़े ही एक मंदिर में बारे में बताने जा रहे हैं जिसे त्रिनेत्र गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते है कहां ये मंदिर व क्या है इसकी खासियत-
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राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर के निकट स्थित रणथंभौर दुर्ग में स्थित गणेश मंदिर आस्था एवं श्रद्धा के लिए जन-जन में प्रसिद्ध है। यूं तो रणथम्भौर नगर मुख्यत: अपनी अभेद्य संरचना, हजारों वीरांगनाओं के जौहर, शरणागत की रक्षा के लिए तथा जीवन उत्सर्ग करने वाली परम्पराओं के लिए जाना जाता है प्रसिद्ध है। परंतु अगर बात धार्मिर दृष्टि के बात करें तो यहां स्थित गणेश मंदिर इसकी धार्मिक पहचान माना जाता है।
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मंदिर के निर्माण का इतिहास-
मंदिर के निर्माण के बारे में बात करें तो इस जुड़ी अनेक किवदंतियां प्रचलित हैं परंतु अभी भी दावे के साथ ये नहीं कहा जा सकता कि 10वीं सदी में ही इस मंदिर का निर्माण किया गया था। एक मान्यता के अनुसार रणथम्भौर के किले को जब मुगलों ने लंबे समय के लिए घेर रखा था तब किले में सामान तक ले जाने का रास्ता रोक दिया गया था। तब राजा हमीर के सपने में गणपति बप्पा आए और उन्होंने उसे विधि पूर्वक पूजन करने को कहा। जब अगले दिन राजा ने वहां जाकर देखा तो उसे वहां गणेश जी की स्वयंभू प्रतिमा प्राप्ति हुई, जिसके बाद गणेश भगवान की आज्ञानुसार राजा ने किले में ही मंदिर बनवा दिया। बता दें गणेश भगवान के इस मंदिर को भारत का पहला गणपति मंदिर का दर्जा प्राप्त है। जहां भारत की 4 स्वयंभू मूर्तियों में से बप्पा की 1 मूर्ति स्थापित है। लोक मत है कि यहां प्रत्येक वर्ष ‘गणेश चौथ’ को मेला लगता है।
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तीन नेत्र वाले हैं गणेश जी-
रणथम्भौर के गणेश त्रिनेत्री हैं यानि उसमें उनकी तीन आंखें हैं। यहां स्थित गणेश जी की प्रतिमा का स्वरूप अन्य गणेश मंदिरों से स्थापित प्रतिमाओं से विभिन्न व सुंदर है। जिस कारण इस मंदिर को देश में स्थापित अन्य गणपति मंदिरों में सबसे अनोखा और भव्य कहा जाता है। इसके अलावा आपको जानकारी देदें कि यहां भगवान अपनी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि एवं पुत्र शुभ-लाभ के साथ सुशोभित हैं। साथ ही साथ यहां इनके वाहन मूषक महाराज का भी मंदिर स्थापित है।
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