Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 May, 2023 07:33 AM
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सूर्य देव दिनांक 14 अप्रैल से मेष राशि में विराजमान हैं। अब इसके बाद दिनांक 15 मई दिन सोमवार को सुबह 11 बजकर 58 मिनट
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Vrishabha Sankranti 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सूर्य देव दिनांक 14 अप्रैल से मेष राशि में विराजमान हैं। अब इसके बाद दिनांक 15 मई दिन सोमवार को सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर ये वृष राशि में गोचर करेंगे। ये दिनांक 14 जून तक वृष राशि में रहेंगे। उसके बाद अब ये दिनांक 15 जून को शाम 06 बजकर 29 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। बता दें, सूर्य के वृष राशि में गोचर करने से 12 राशियों के जीवन में इसका खास प्रभाव पड़ेगा। वृष संक्रांति के दिन स्नान और दान करने के साथ सूर्य पूजा का बहुत ही खास महत्व है। तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि वृष संक्रांति का समय क्या है ? महापुण्यकाल क्या है ? इस दिन दान करने का समय क्या है ?
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Vrishabha Sankranti time वृषभ संक्रांति का समय
इस साल वृष संक्रांति दिनांक 15 मई को सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर मनाई जाएगी। इस दिन पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान, दान और पूजा पाठ करने के साथ सूर्यदेव की पूजा करने से कुंडली में स्थित ग्रह दोष से छुटकारा मिल जाता है।
Vrishabha Sankranti punya kaal ka samay पुण्य काल का समय
वृष संक्रांति के पुण्यकाल का कुल समय 7 घंटे 3 मिनट का है। इस दिन पुण्यकाल सुबह 04 बजकर 55 मिनट से लेकर 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
Vrishabha Sankranti maha punya kaal ka samay महा पुण्यकाल का समय
वृष संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल की कुल अवधि 2 घंटे 14 मिनट की है। इस दिन महापुण्यकाल सुबह 09 बजकर 44 मिनट से लेकर इसका इसका समापन दिन में 11 बजकर 58 मिनट पर होगा।
Significance of Vrishabh Sankranti वृषभ संक्रांति का महत्व
वृष संक्राति के दिन सूर्य पूजा करने से कुंडली का सूर्य दोष दूर हो जाता है।
संक्रांति के दिन स्नान करने के बाद पितरों का जल तर्पण कर, उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
पितरों को नियमित दान करने से पुण्य और आशीर्वाद मिलता है।
वृष संक्रांति के दिन सूर्यदेव से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से कुंडली में स्थित सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
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